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नणि थापीये ॥७॥ नोकसाय नोइंजिय जेय, नोसन्ना नोआगम जेय ॥ जेम तेम नोसंयत || जाण, केवळ सूत्र तणे परमाण ॥ २॥
वृत्तिमा एहज अर्थ कहेलो छे. जो वृत्ति न मानो तो सूत्रने मलती व्याख्या करी आपीये. जेम सूत्रोमां " नोकसाय, नोइंद्रिय, नोसना, नोआगम" तेम " नोसंयत" केवल सूत्रना प्रमाणथी जाणी लेवू, एटले नोकसायनो अर्थ अकसाय एवो यतो नथी, नोइंद्रियनो अर्थ अनिद्रिय थतो नथी अने एम जो थाय तो उधो थई जायते माटे एवो अर्थ कदी करवो नहिं, अने देवताने अधर्मी एवा पण कदी नहीं कहेवा, केमके तेमनामां पण श्रुतधर्म नो सद्भाव छे एप सूत्रोमां कहेलुंछे ॥ २८-२९ ॥ | अनुत्तर उववाई देवता, तिहां बतां गणि जिण सेवता ॥ पूजे मन करि प्रश्न विचार, बझे जिन| वर नाषित सार ॥ ३० ॥ श्स्या नाण दसण निर्मला, किणे काले न हुवे सामला ॥ वलि उपशांत मोह ते कह्या, सुगुरु वचन ते में सहह्या ॥ ३१॥
श्रीनगवतीजीना ५ मा शतकना चोथा उद्देशाने विषे. पभूणं भंते ! अणुत्तरोववाइया देवा तत्थगयाचेव समाणा इहगएणं केवलिणा सद्धिं आलावंवा संलावंचा करेत्तए ?
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