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पावयणेणिस्तंकिया के.) तथा ए निग्रंथना प्रवचनने विषे निःशंकित एटले संदेहरहित होय, एटले जे श्री वीतराग पोल्या तेज सत्य छे एम जाणे. (णिकंखिया के०) सूत्र छोडी बीजु शास्त्र वांछे नही, (निवितिगिच्छा के.) धर्मना फलने विषे संदेहरहित होय, तथा सूत्रोक्त साधुना मार्गने विषे दुर्गच्छारहित होय, ( लद्धहा के०) सूत्र सांभलवायकी लाधा.छे सूत्रना अर्थ जेणे, (गहीयहा के० ) धारणाये करी ग्रह्या छे अर्थ जेणे, (पुच्छियहा के०) संशय उत्पन्न थया थकी पूछीने खरा कर्या छे अर्थ जेणे, (विणिच्छियहा के०) वारंवार विशेषे प्रछीने निश्चित कर्या छे अर्थ जेणे, (अभिगयहा के०) माप्त थयेला अर्थने पूछया पछी, निर्णय करी धार्या छे अर्थ जेणे, एटले प्रकारे तत्वार्थना जाण, (अद्विमिंज पेम्माणुरागरत्ता के०) अस्थि अने हाड मांहेली मिंजा जे धातु विशेष ते भगवंतना सिद्धांतरूप कसुंबादिकने विषे प्रेमरूप रागेकरी रंगाणा छे एटले रागरक्त छे, तथा पांच माहे मल्या थका एवी धर्मनी कथा कहे के, ( अयमाउसो के.) अहो आयुष्यमंतो! (निग्गथेपावयणे के.) निग्रंथ एटले साधु संबंधि जे प्रवचनसिद्धांत छे (अयंपरमटे के.) एज आत्माने अर्थे उत्कृष्ट मोक्ष साधनरूप मार्ग छे. ( सेसेअणठे के० ) अने शेष बीजा कपिलादिकना ग्रंथ, तथा धनधान्यादिक, पुत्रकलत्रादिक ए सहु अनर्थकारी छ, ए सर्व असार एवोजे आ संसारतेनी वृद्धिनां कारणरूपछे. एवी कथा करे. एरीते निग्रंथना प्रवचनने विषेरागी छे, (उसियफलिहा के०) निर्मल स्फाटिकना जेवू चित्त छे जेन ( अवगुयवरा के०) जेना घरना वारणा भोंगल रहित एटले सर्व काल उघाडां छे, ( अचियत्तंतेउरपरघरपवेसा के.) राजाना अंतःपुरनी पेठे लोकना घरने विषे प्रवेश करवानो जेणे त्याग कर्यो छे, अथवा
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