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________________ yan प्रश्नोत्तर. ११५२॥ DURING नावार्थः-आषाढ मासनी पूनमना दिवसे वर्षाकालसुधि वापरवायोग्य चीजो (उपकरण) | तथा मगल, राख विगेरे ग्रहण करी चोमासीपमिक्कमणुं कर्याबाद, चोमासीलायक था क्षेत्र में || पश्नोत्तरके केम? ते विचारमा कोश्ये पूब्युं, तो ते साधु कहे के श्रावण वद पांचम पनि बने ते खरूं, तेम करतां जणायुं के क्षेत्रमा योग्यता नथी, एम विचारी पांच पांच दिवसनी वृद्धि त्यांसुधि करे के यावत् एक मास अने वीस दिवस एटले नाऽवा शुदि पंचमीये पर्युषणा करे. शिष्यशंका (प्रश्न) कोइ कहे जे के वीस दिवसे कल्प तथा पांच पांच दिवसनी वृद्धिवमे कल्पस्थापनरीति संघनी आझावझे विछेद पामी ते केम? उत्तर.-चूर्णिमां तो विछेदनी वातज जणाती नथी, विछेद एटले फरी तेनी उत्पत्ति संन्नवे नहि ते, अने अद्यापि क्षेत्रादिकनी योग्यता तथाविध न होवाथी तेम बनवा संन्नव ने, ने चूर्णिकार पण एज विधि लखी उतां विछेद थै एम कहे , परूपे दे, ते बाबत समीक्षकोये विचार करवो जोश्ये, जे कोश् या बाबतमां तिबोगालीनुं नाम | दे ने पण तेने लगती हकिकत तेमां नथी; माटे मध्यस्थ (तटस्थ) पुरुषोये यथार्थ चारे बाजु AND
SR No.600329
Book TitleSurdipikadi Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharyadi, Mangaldas Lalubhai
PublisherMangaldas Lalubhai
Publication Year1913
Total Pages412
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size29 MB
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