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दसमीए पचासवेंति, एवं पसरसीए, एवं पणगबुडी ताव कद्यति - जाव सवीसति मा - सोपुसो सोय सवीसति मासो जद्ददयसुद्ध पंचमीए पघोसवेंति यह आसाढ सुह | दसमीह वासाखित्ते पविठा, दवा जत्य प्रासादमास कप्पोकर्ज, तं वासप्पाजग्गं खेत्तं. प्रपंच च्चि, तादे तबेव पचासवेंति. वासंच गाढं अणुवरयं यदत्तं ताहे त चैव पद्य सर्वेति, एक्कारसीन आढवेन मगलादि तं गेएहंति पद्योसवणाकप्पं कहेंति, तादे आसाढ पुसमा पद्योसवेंति, एस उसग्गो सेसकाल पद्योसवेंताणं, प्रववातो प्रववातेवि सर्वीसति राय मासातो प्रतिकमेनं ए-वहति, सवीसति राते मासे पुले | जति वासखेत्तं - ए - तन्नति, तो रोक देहावि-पोसवेयवं, तं- पुलिमाए पंचमीए एवमादि पंधे पोसवेयवं, गो- अपवेसु. सीसोपुचत्ति, इयाणिं कदं चनचीए अपने पद्य सविद्यति ? प्रायरि जाति, कारणिया चची अद्यकालगया रिएण पवत्तिया.