________________
निरवाध
दाय यनमय
विरवाध दोय व्रजमय एम चउसह
२५ जीनधर्मनी १२ छली
करणीनो काउसग ठाणांगसूत्रनो
इम
vaasanawaravanaemonaDA
चउसठ
वह
बहु
BESTRATIDARD0004DDOO900ets
उद्वेशाना बीयीवएज्जा युच्च वीपीवएज्जा
उद्वेशाने बीइवएज्जा चुच वीइवएज्जा
मूब पर्याप्तायी छठा परभव पज्झीतीए एवंबयासी
चिठंती १५ | णमंसामा
अने जैन धर्मनी २६ छेल्ली करणीना काउस्सग ठाणांगसूत्रना पुरि मूत्र पर्याप्ताथी छठा परभव पज्झीतीए एवंवयासी चिढ़ती णमंसामो
सम्मायी वीयीवएजा
सम्माणे वीइव रज्जा
motowerestroetnavarik
॥
४
॥