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________________ BODanasanupamaanemamanawaD/AAVENamare चउद गुणथानके उदउँ बोल्या जे जिहां संन्नवे। दवे उदीरणं कहु उदउ जेमतेम उदीरण । विस्तार जेम जेम पाबले कहियो तेम लहेज्यो धीधणा ॥ ३६॥ चालती॥ पहेलेठाणे एकसो सतरुए । बीजे एकसो अधिक ग्यारुए। एकसो त्रीजे चोथे चिमत्त । पंचमे थानके सत्यासी मने धरु ॥ त्रुटक ॥ बढे श्कासी हुइ हुश्दीरणा सातमाथी विवरणा। तेरमो थानक होय ज्यां लगी त्रिणि न करे जदीरणा । साता असाता मनुष्य आयु सातमे न उदीरए । तेणे उदय बिहुत्तरी करे उदीरण त्रिहत्तरी कदे जिनवीरए ॥३७॥ चालती ॥ श्राग्मे थानके हुए उगुणहत्तरी || नवमे त्रेसठ उदीरणा मने धरी। दसमे सत्तावन उप्पन्न अगियारमे । बारमे चोपन्न नगुण-15 चालीस तेरमे ॥ त्रुटक ॥ त्रण त्रण पयमी उदयमांहिथी उदीरण उडी करो। सातमा गुणथानके प्रारंजी तेर लगे हिय धरो। चनदमे गणे उदीरणा नदु अयोगी गुणगणयं श्म चनद थानक कही उदीरण पयमि विवरण माणयं ॥ ३०॥ ॥ ढाल ॥ दोमी ॥ सत्तातणो विचार पूरव बंधीय । पयमी पोते जे रहेए । पेहेले स्थानके | MARATORIANDERDasenasammaavaavanaanevan
SR No.600329
Book TitleSurdipikadi Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharyadi, Mangaldas Lalubhai
PublisherMangaldas Lalubhai
Publication Year1913
Total Pages412
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size29 MB
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