________________
-
-
उपधानविधि.
उपधान वहन करनार श्रावक-श्राविका प्रातःकाले प्रतिक्रमण करी, देव वांदी, पडिलेहण करी, जिनपूजा करी घेरथी सापांच शेर अक्षत, श्रीफल ग्रहण करी ज्यां नींद मांडी होय त्यां भावी गुंडली करे पछी हाथमां श्रीफल ग्रहण करी नदिने नवकार गणवपूर्वक त्रण प्रदक्षिणा आपे पछी श्रीफळ मूकी, पौषधना उपकरणों ग्रहण करी, खमा० दह इरि यावही पडिकमी पौषध लेवानी विधि प्रमाणे पौषध ग्रहण करें। यावत् बहुवेल संदिसाहु, बहुवे करशुं त्यां सुधी कहे. पछी पडिलेना आदेश मांगी यावत् उपधि पडिलेहुं कही सर्व उपकरण पडिले हवा. कोइ स्त्रीने कारणसर वस्त्र पडिलेहवा रही गया होय तो नांदनी सघळी क्रिया कर्मा पछी पडिलेहय करे. पडिलेह कर्मा पछीज पत्रेणानी क्रिया थह शके. पौषध लीघा पछी नीचे मुजब प्रवेशविधि कराववी.
प्रवेशविधि
खमा० दइ इरियावहि पडिक्कमी एक लोगस्सनो काउस्सग्ग चंदेसु निम्मलपरा सुधी की पारी प्रगट लोगस्स कहे वो. खमा० दइ इच्छाकारेण संदिसह भगवन् ! वसति पत्रे ? गुरु कहे पत्रेह. इच्छं कही खमा० दइ शिष्य कहे भगवन् ! शुद्धावसहि. गुरु कड़े तहत पछी खमा० दइ इच्छा कारण संविह भगवन् ! मुहपत्ति पडिले हुं ? गुरु कदे पडिलेह. इच्छ १. प्रथम वे उपधानमां नांद होय घे. बाकीना उपधानमां स्थापनाचार्यथी पण प्रवेश करावी शकाय बे.
HHHHHHHHHKKKKKK