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________________ पाकक श्री जैन व्रत विधि. 下·朱法布米米米米米%架法米法术出米米 विशेष प्रचार थाय ते हेतुथी किंमत राखवामां आवेल के, अने तेनी जे आवक यशे तेमांथी बीजा नवीन प्रन्यो बहार पाडी * जनताने विशेष लाभ थाय अने ज्ञान भक्तिनो लाभ मळे ते मुख्य उद्देशथी किंमत राखवामां आवी छे. जनताले उपकार:all जैन व्रतविधि नामक प्रन्थनी पहेली श्रावृत्ति बहादुरपुरना शा. कस्तूरचंद करमचंद तथा छाणीना चंदुलाल मगनलाल तरफथी बहार पडी हती, तेमां सकलागमरहस्यवेदी शासनमान्य जैनाचार्य श्रीमद्विजयदानपूरीश्वरजी महाराज अने व्याख्यानवाचस्पति आगमप्रज्ञ शासनप्रभावक जैनाचार्य श्रीमद्विजयलब्धिसूरीश्वरजी महाराजे आगमवाचनादि अनेक शासन प्रभावनाना कार्योमाथी पोतानो अमूल्य समय काढीने सुधारोवधारो करवामां जे परिश्रम उठान्यो ते माटे बन्ने महात्मामोनो तेमज उपदेशदाता आचार्य श्रीविजयगंभीरमूरिजी महाराजनो भने श्रीमद्रास जैनसंघे सद्-ज्ञान प्रचारार्थे भार्थिक सहाय भापी पोतानी लक्ष्मीनो सव्यय कर्यो तेथी लेमनो उपकार मानवानुं विसरता नथी. वीर संवत २४६४ व्यवस्थापक: विक्रम संवत १९९४ चंदुलाल जमनादास ॥२ ॥
SR No.600317
Book TitleJain Vrat Vidhi Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLabdhisuri
PublisherJain Sangh Madras
Publication Year1938
Total Pages96
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size7 MB
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