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________________ औ०१९ जी० २१ प्रज्ञा०२२ ॥६०॥ जं. २० नि० २६ प्रकी०२७ रमणीण दंसणं चेय २७-३९६ | राइदिएण तीसं तु रयण० के० विरहिया उब्वट्ट०२२-१२४सू० | रागहोसनियत्तो रयण नेर० के० उव्वाएणं २२-१२३सू० रागहोसपमत्तो रयणप्पभाइकुडनि० २७-९४२ रागद्दोसाभिहया रयण पु० नेर० ० चक्क०२२-२६५सू० रागद्दोसारीणं हंता ":, ,, रयण०२२-२६४सू० रागबंधं पओसं रयणाई सब्बरयणे । २५-३२ रागस्स य दोसस्स य । रयणिकर० णक्खत्ताणं रागं बंधं पओसं रयणिकरदिणकराणं २४-६७ रागेण गंगदत्तो रयणियर० चारविसेसेण २७-१०६७ ,, न जाणंति य रयणियरदिणयराणं २१-६४ , व दोसेण व २७-२०६६ २७-५२१ । | रायसिरिमुवकसित्ता २७-१४ २७-१७४९ | राहुकेउविलग्गेसु २७-९१३ २७-१८४७ | रिक्खग्गहतारग्गा २७-१०८० २७-१२८६ २१-७७ २४-८१ २७-१३८ | रुक्खा गुच्छा गुम्मा २७-१८५० २७-८५ | रुद्दे सेए मित्त २७-४१२ | रुद्दो उ मुहुत्ताणं २७-८९४ २७-५३६ | रुरु कुंडरिया जीर २२-४८ २७-१४७१ | रूविअ० जाव पजवा कइ०२२-११९सू० | रोगायंकेमु पुणो २७-१४४९ | रोहे सेते मित्ते २७-१६९ - रोसेणं पडिनिवसेणं २७-१३९ रोहीडगंमि नयरे २२-११३ | लजाइ गारवेण २७-१५१९ २७-१७२३ । लजाइ गारवेण य २७-१३३८ २७-८९३ (र)विभोमकोण (ड)दिवसे रविससिगहणक्वत्ता रविससिगहनक्खत्ता २१-५४ | रायगिह मगह चंपा २७-१०५६ | रायगिहनिग्गया खलु ॥६॥
SR No.600310
Book TitleUpang Prakirnak Sutra Vishaykram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagaranandsuri, Anandsagarsuri
PublisherJain Pustak Pracharak Samstha
Publication Year1948
Total Pages182
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_index
File Size16 MB
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