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________________ औ०१९ सूर्य०/२३ रा०२० जी० २१ प्रज्ञा०२२ । २५ नि० २६ प्रकी०२७ पुढविकाइया आहारकम्म०२२-२१०सू० पुण्णेहिं हायमाणेहिं २७-४९६ | पुब्बमकारियजोगा २७-१४०० पुढविकाइयाणं० अणंतर० २२-१४०सू० पुण्णोवि जंबुद्दीवं २७-९८४ | पुवमकारियजोगो २७-२१९ आहारट्ठी २२-३०६सू० | पुत्तं जीवयऽरिटे २७-१५११ केवइया २२-२८०सू० पुत्ता चयंति मित्ता २७-५७९ २७-१२९२ केवइया २२-१०६सू० , मित्ता य पिया २७-१८१७ पुवंविराहियवंतर २७-१६९७ केवइयं २२-९६सू० | पुन्नामधिजसउणेसु २७-२०२ | पुगे सिद्धमणोरमे पुढविदगअगणिमारुअ०२७-७८४ | पुप्फा जलया थलया २२-८६ २७-१७६९ | पुष्फाणं बीआणं तय० २७-७९० पुवाघरदाहिण २७-१७६७ पुढविदगाणं च रसं २४-२८ | पुरओ वहंति सीहा २७-१०२१ पुब्धि० अनियाणो ईहिऊण २७-२२१ २५-८८ | पुर(कुरु) मंदरमावासा - २१-३३॥ पुटिव कयपरिकम्मो पुढी ओगाहित्ता २१-९ | पुरिसवरपुंडरीओ . २७-५९० ,, कारियजोगो २७--१५१२ " , २१-९५सू० | पुरिसवेदस्स णं भंते ! क. पुढवीकाइए णं भंते० २२-२६१सू० | केवतियं बंध० २ १-५८सू० , कारिय० ताहे मलि० २७-१५१३ पुढवी य सकरा वालुया २२-१० | पुरिसस्स णंभंते० का० अंत०२१-५६सू० | पुब्वेण होह विजयं . २७-१११३ पुणब्वस्सूणा पुस्लेण :७० | पुारसस्स णभत ! कालं ठिती २१-५४सू० | पुस्सऽस्सिणिमिगसिररेघई २७-८५७ पुषणाई खलु आउसो २७-१४ पुरिसे णं भंते ! पुरिसेत्ति २१-५५सू० | | पुस्सायणे अ अस्सायणे २५-१०५ पुण्णा य इकवीसा २७-११०६ । पुव्वभवियवेरेणं २७-१७६४ | पुस्सो हत्थो अमिई २७-८७४ ॥५४॥
SR No.600310
Book TitleUpang Prakirnak Sutra Vishaykram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagaranandsuri, Anandsagarsuri
PublisherJain Pustak Pracharak Samstha
Publication Year1948
Total Pages182
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_index
File Size16 MB
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