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________________ औ० १९ रा० २० जी० २१ प्रज्ञा०२२ ॥ ३० ॥ जह सव्वकामगुणियं 55 "3 35 39 "3 35 35 " 33 95 जहिं देवा जोइसिया भवणवई वंतरिया 39 23 सव्वकालतित्ता 23 33 सा बत्तीसघडा सायरसे गिद्धा सिद्धिमग्गदुग्गइ सुकुसलोवि विजो 33 39 जं अइतिक्खं दुक्खं अज सुहं भविणो अन्नाणी कम्मं 59 22 33 १९-२६ जं अन्नाणी कम्म २२-१७६ असियं वीच्छं २७-१२२६ किंचिवि दुश्चरि २७-१२२७ २७-१७१५ २७-१५९४ २७--१५९७ २७-१३३९ २७-७२२ २७ - १७१४ २७-२०१४ २७--९६६ २७-१००४ 35 25 35 23 " 33 किंचि सुहमुआरं " कुणइ भावसलं 32 23 23 33 35 23 जंघडियालु ऊरू जं च दिसावेरमणं जंतेण करकरण व وو " 99 जं देवाणं सोक्खं २७-४२७ २७-२७९ नाम समुद्दे 35 २७-२३४ " निजरेइ कम्मं २७-७०१ ,, पुवं तं पुवं न लहर सम्मत्तं २७-१३७० जं पेम्मरागरतो २७-१६२२ जं बद्धमसंखिजाहिं २७-५५१ २७-६९४ २७-८१ जंबुद्दीवसमा खलु २७-१००३ २७- १३६ |जंबुद्दीवस्स गं० कति दारा २१-१२९सू० ૨૭–૪૪૬ जंबु० दीवस्स दारस्ल य २५ - ९सू० २७-२७० | जंबुद्दीवस ० २७-१६१ २१-१४६सू० २५- ७सू० २१-१४७सू० २७-१३४६ २५-- १२५सू० २७--९९३ २७- १४६३ २७--५५६ २७-६७ २७- १७१६ १९–२२ २७-१४३९ २७-९७५ २७-१२८९ २७-१३४० ܘܕܕ 33 19 " जंबुद्दीचं काऊण लवणे 33 "3 "" 33 39 59 जंबुद्दोषे० अट्ठावीसाए 33 23 95 23 दीव० परसा पदेसा गं० कह चंदा कति चंदा किं पुढवि० "9 ,, किं सासए केवरअं 39 २१-१५५ २५- १६७० २५- १२७सू० २१- १५४सू० २५- १७९ सू० २५ १७८० २५ १७७० १०/२३ चं० २४ जं० २५ नि० २६ प्रकी०२७ ॥ ३० ॥
SR No.600310
Book TitleUpang Prakirnak Sutra Vishaykram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagaranandsuri, Anandsagarsuri
PublisherJain Pustak Pracharak Samstha
Publication Year1948
Total Pages182
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_index
File Size16 MB
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