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________________ जी० २१॥ प्रज्ञा०२२/ ॥२०॥ بای بای कहि णं भंते ! वादरवाउ० २२-४०सू० । कहि णं देअड्डे पण्णत्ते २५-१४सू० कंदा य कंदमूला य २२-१०८ सूर्य० २२ ,, बेइंदियाणं २२-४१सू० .... सरियामे णामं० २०-२७० | कंबलसाडेणं आवेढिय० २२-१९८साच०२४ ,, भवणवासि० २९-११७सू० ,, हेमवए २५-७८सू० | कंबूयं कन्नुक्कड जं० २५ , रयण नेरइ० २२-४३सू० भवणवासीणं २२-४६सू० | काइयवाइयमाणसिया २७-१३२९ नि० २६ वाण देवाणं २२-४७सू० ., वेमाणियाणं २२-५१सू० काइंदीनयरीए २७-६६२ प्रकी०१७ ,, वाणमंतराणं २१-१२२सू० ,, सोहम्मगदेवाणं २२-५२सू० काऊण तिहिं विउणं . २७-८८९ ,, विजयस्स २१-१३६सू० कर्हि पडिहया लेसा २४-२ काऊण नमुक्कारं ,, वेमाणियाणं २१-२०८सू० |, , सिद्धा कागसुणगाण भक्खे २७-५४१ ,, सिद्धाणं ठाणा २२-५४सू० २२-१५९ का देवदुगई २७-१०१ ,, सुट्टियस्स २१-१६२सू० २७--१२०८ | कामभुअंगेण दट्ठा २७-३८५ ,, मणुस्साणं पज्जत्ता० २२-४५सू० कंगू या कंडुइया | कामविडंबणचुक्का २७-३९ ,, महाविदेहे० २ ५-८७सू० | कंचणपुरम्मि सिट्टी | कामासत्तो न मुणइ २७-३८८ , उत्तर० . २५-८८सू० | कंतारे दुभिक्खे २७-१६८ कारणमकारणेणं २७-८०८ मालवंते हरिस्सह २५-९३सू० २७-१४७० का रंति व का लेणा २७-९३८ ,, ,, मंदरए पव्वए सो०२५-१०६सू० | कंदप्प कोकुयाइय २७-१२९६ | कारुन्नामयनासद० २७-२९४ , मंदरपब्वए पं० २५-१०७० ' देवकिविस २७-१०२ | कालत्तएवि न मयं २७-४५ , मंदरे पव्वए पं० २५-१०५सू० , २७-१२९५ | काला असुरकुमारा २२-१४६ R ॥२०॥ | "
SR No.600310
Book TitleUpang Prakirnak Sutra Vishaykram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagaranandsuri, Anandsagarsuri
PublisherJain Pustak Pracharak Samstha
Publication Year1948
Total Pages182
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_index
File Size16 MB
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