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________________ सूर्य० । २३ ला औ० १९ रा० २० जी० २१ प्रज्ञा०२२ ॥१८॥ जं० २५ नि० २६ प्रकी०२७ कतिविधे णं कोधे २२-१८९सू० | कतिसमतिए णं केवलि० २२-३५०सू० | कयपावोऽवि मणुस्सो २७-२६३ , , परिणामे २२-१८१सू० कत्थइ अइदुप्पिक्खो २७-१७९५ कयपावोऽवि मणूसो २७-१४६५ कतिविहा ,, इंदिया० २२--२०१सू० , दुविहिपहि २७-१७९६ २७-१३३७ , जोणी० २२-१४९सू० , सुहं सुरसम २७-१८७५ कयरे ते बत्तीसं देविंदा २२-१५१सू० २७-९३६ " | कत्थ य मुद्धमिगत्ते २७२२७९४ ,, परियारणा०२२-३९५सू० कप्पतरुसंभवेसु २४-९६ करकरिए रायग्गल २७-१४८६ , पासणया २२-३१४सू० कलहं अब्भक्खाणं २७-२०२ २७-१९३ ,, णिओया " २१-२३९सू० कप्पम्ति सहस्सारे २७-१४९४ २७-११०५ संसारसमा० २१-१०१सू० कप्पाओ कप्पम्मि उ कलं कलंपि घरं २७-१३६७ २७-११२५ , , वेदणा० २२.-३३१मू० कल्लाणपरंपरयं २७-३४३ | कप्पाकप्पविहिन्नू २७-१५६७ २२-३३२सू० कप्पे सणंकुमारे कल्लाणफलविवागा २७-१९७७ . २७-११२० तिविहे ६० असण्णि० २२-२६७सू० कमलामेलाहरणे २७-५९४ कल्लाणं अब्भुदओ २७-१६६८ , इंदियउव० २२-१९९सू० कहं चंदमसो वुड्डी कम्मटुक्खयसिद्धा २७-२४ , पओगे २२-२०२० कहं पं० जीवे अट्ठ कम्म० २२-२९०सू० कम्मस्स आसवं २२--१८०८ कहि पं० अणवन्नियाणं ,, भंते ! इंदिय २१-१९२सू० २२-४९सू० , | कम्मासवदाराई २७-१८५४ , ,, वय २२-१७३सू० ,,,, ईसाणाणं २२-५३सू० कम्हा पं० केवली समु० २२-३४८सू० २०१५ | , भंते! लवण २१-१५७स० "" उत्तरकुराए २५-८९सू० P ॥१८॥
SR No.600310
Book TitleUpang Prakirnak Sutra Vishaykram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagaranandsuri, Anandsagarsuri
PublisherJain Pustak Pracharak Samstha
Publication Year1948
Total Pages182
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_index
File Size16 MB
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