________________ दशमान प्रश्नव्याकरण सूत्र प्रथम-आश्रवद्वार चेव लोभघत्था संसारं अतिवयंति सव्व दुक्खसं निलयणं, // 5 // परिग्गहेसेवय / / अट्ठाए सिप्पसयंसिक्खाए सिक्खए बहुजणो कलाओय बावतरेसु निपुणाओ, लेहातियाओ, सउणरूया वसाणाओ, गगियप्पहाणोओ, चउसट्ठींच महिलागुणे रतिर जणणे, सिप्पसेवं, असिमसिकसिवाणिजं ववहार अत्थसत्थं, इसत्थं छरुप्पवयं विविहाओय जोग जुंजणाओय अण्णेसुए एवमादिएसु बहु कारण सएसु जावजीव परिताप उत्पन्न करनेवाला है, सब प्रकार के शारीरिक मानसिक अथवा जन्म मरा मृत्यु रूप दुःख का आलय है // 5 // इस परिग्रह के लिये बहुत लोगों शिल्पका अभ्यास करते हैं, बहुत लोगों बहत्तर कलामें में निपुण होते हैं, अठारह प्रकार की लिपी लिखते हैं, पक्षी आदि शब्द शकन वगैरह प्रकाशते हैं, गणित कला में प्रधान होते हैं, स्त्रियों की 64 कला का अभ्यास करते हैं, क्यों कि वे यह कला भी पुरुषों को में सुख उत्पन्न का द्रव्यादि प्राति काम आती है. अनेक प्रकार के शिल्प, गजा आदि की सेवा, शास्त्रादि / के बंधर: लेखनादि के कई, काषे आदि कर्म, वाणिज्य, अर्थ शस्त्र के अभ्याम से, धन के ये शस्त्र सुनाने से, धनुर्वियादि का प्रकाश कर इत्यादि विविध प्रकार के उपाय से, वशीकःणादि प्रयोग से 1 अन्य अनेक कारनों से, जीवन पर्यंत अनेक प्रकार के कर होते हुए दद्धि कामे द्रा का संय? | 41 पोररहनामक पंचम अध्ययन 4124