________________ दशमाङ्ग-प्रश्न.करण सूत्र-प्रथम आश्रवद्वार सहरस मंडियं, थिमियं मेदणीयए गच्छंति ससागर जिऊण वसुहं नरसीहा, नरवती, नरिंदा, नरवसभा, मरुय, वसभकप्पा, अब्भहियं रायतेय लच्छीए दिप्पमाणा, सोमा रायवंस तिलगा रवि, ससि संख, वरचका, सोवत्थिय, पडाग, जव, मच्छ, कुम्म, रह, वर, भग, भवण, विमाण, तुरंग, तोरण, गोपुर, माणिरयण, नांदयावत्त, मुसल, नंगल, सुरचित वर कप्परुक्ख, मिगवति, भद्दासण, मुरवि, थुभ, वरमउड, सिरिय, कुंडल, कुंजर, वरवसभ, दीव, मंदर गरुलज्झय, इंदके उ, पूर्वक पृथ्वी में एक छत्र वाला, समुद्र पर्यंत भाषका पालन करने वाला, नरये सिंह समार, मनुष्यों का अधिपति, मनुष्य में इन्द्र, मनुष्यों में प्रदेश के धोरी बैल समान, प्रत्यक्ष राज्यतेज लक्ष्मी से देदीप्यमान. सौम्यमुद्रा वाला, लोगों को प्रमोद करने वाला, राजाओं में तिलक समान, सूर्य, चंद्र, शंख, प्रधान चक्र, स्वस्तिक, पताका यव, मत्स्य, कूर्म, रथ, प्रधान योनि, भवन, विक्षन, घोडा, तोरण, गोपुर, मणिरत्न, नावर्त, मूशल, नागर, चौकून, प्रधान कल्पतरु, मृगपति-सिंह, भद्रामन, आभरण, भूमिका, प्रधान मुकुट, मुक्तावलि, कुंडल, कुंजर, वृषभ, द्वीप, मेस, गरुड, ध्वजा, इन्द्रध्वजा, दर्पण, अष्टापद, धनुष्य, पाण.. नक्षत्र, मेघ, मेखला, वीणा, झुमिरा, मच्छ, छत्र, माला, कमंडल, कमल, घंटा, प्रधान नावा, शूची, समुद्र, कुमुदनी, अ.गा, मगर, हार, लेगा, पर्वत, नागर, पूर, वज्र, किन्नर, मयूर, प्रधान राजहस, सारस, / 4 अब्रमचये नामक चतुथ अध्ययन | [ 1