SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 28
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ NI॥ नवमी ढाल अमोलख दाखी । आगे अश्चर्य थात ॥ भाइ ॥ १५ ॥ ॥ दुहा ॥ जे दिन भूवन सुन्दरी । हर्ष अती दिल धार ॥ नप कचेरी जाव वा । कयों जोगी शंNगार ॥१॥ सेठ सर्व परिवार ले । हुवा जोगी के संग ॥ मध्य बजारे चालीया। मिलीयो । मनुष्य को दंग ॥ २ ॥ केइ लोक गुण उचरे । केइ करे नमस्कार ॥बहू आडंबरे परवर्या ।। आया कचेरी मझार ॥ ३ ॥ राजादी उभा हुइ । दियो घणो सन्मान ॥ सुवर्ण सिंहासNण जोगी को । बेठाया राजान ॥ ४ ॥ सब परसंसे जोगीने । देखी तस करामात ॥ पर। उपकारी निर्लोभी । तेही जग पूजात ॥५॥ ७ ॥ ढाल १०मी ॥ सखी पनीया भरन कैसे जाना ॥ यह ॥ दोनो नृप सामने आया । कर जोडी सीस नमाया जी ॥ कहे धन्य। तुम पर उपकारी । सुणो सील तणी महीमारी |१॥ हम उपर कृपा कीजे । नेत्र चरण दान दीजे जी ॥ झट पूरो ए इच्छा हमारी ॥ सुणो ॥ २ ॥ जोगी विचारी। N/बोले । खट पट हीया की खोले जी ॥ कहो वीती हकीगत थांरी ॥ सुणो ॥३॥साच । बोल्यां थी सुख पासो । तक्षिण सब रोग गमासो जी । नहीं तो फिर दुःख अपारी ॥ सुणो ॥ ४॥ भूप अहम सट्टम बतावे । जोगी घ्राण ने हाथ लगावे जी । कहे झुटी । हकीगत यारी ॥ सुणो ॥ ५॥ हम आगे लपराइ न चाले । झुट बोले ते मुज मन ।।
SR No.600303
Book TitleBhuvansundari Sati Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherEk Shravika
Publication Year1912
Total Pages34
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy