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इत्यादि परे हर्षिया । जाइ सुखदा सेण ॥ ६॥ ते सुख जाणे उभय ते । के जाणे जि"नराय ॥ के मनो मन समजो सहू । बाचाय न वरणाय ॥ ७ ॥ ७ ॥ ढाल १२ मी ॥ १५ महारो आज आनंदनो दिन छेजी यह ॥ म्हारे आज आनंद वर्तावीया जी। सस्य शील।
प्रभाव दर्शावी या जी॥ म्हारे० ॥ ७ ॥ खेचर पति अती हर्षाविया जी। हीये अमृत मेह बर्षाविया जी || म्हारे ॥१॥ साया पति तब ओलखी जी । सहू दुःख ने सुख । रूप गइ लखी जी ॥ म्हारे ॥ २॥ कर जोडी पडी आइ पांव में जी। विनवे ते धरी उत्सावने जी ॥ म्हारे ॥ ३ ॥ खमो आपराध नाथ माहेरो जी । में गुन्हो कियो बहु १५ यांयरो जी । म्हारे ॥ ४ ॥ देवी रूपे बचन कह्या आकारा जी । वली सत्य रुपे न मानी । वाक्यरा जी ॥ म्हारे ॥ ५ ॥ हुइ करडी सस्कार अभी नहीं कियो जी । सत्य बात कही तो भी वैम लियो जी | म्हारे ॥ ६ ॥ई अपराधी छं नाथ पग पगे जी । आप ने N अपराध जरा नहीं लगे जी ॥ म्हारे ॥ ७॥ जे आप किया ते रूडो कियो जी । मुज ने दुःख नही पण घणी सुख दियो जी ॥ म्हारे ॥ ८ ॥ धर्म प्रभाव होसी एह थी घणो । जी । यह अनंद मुज मन हुवो घणो जी ॥ म्हारे ॥ ९॥ हिवे कृपा करी मूलगा वणो जी । आ दासी ना सह गुन्हा हणो जी ॥ म्हारे ॥ १० ॥ इम सुणताही रूप पलटा
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