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पृष्ट.
बीच
स्वप्न
श्रेयकार
श्रीजेयसण विजयसेण चरित्र का शुद्धिपत्र. पाठक गणो ! प्रथम निम्र लिखित अशुद्धियों को शुद्धकर फिर यत्नासे पढीयेजी . ओली.
अशुद्ध. शुद्ध. पृष्ट. ओली. अशुद्ध. शुद्ध. वक्ष वक्षा
नीच स्वप्न
मान तोय
कमरी कथो
पउड पडह लाज्यो लेजो आले ओले
कमरी कुमरी मुझ
माधिक्क मा धिक्क अत लिख अन्तलिख
खोउ खोड खा ती कहांथी
पाउ
पाड मांउ
जानार
जमाइ सही॥१०॥
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कुमरी
कथे
"
मांड
कोड
होड
सही। बडती भार
ढली
भाइ