________________
जि. सु.
जा
धर्मी ॥ २६ ॥ ढाल नौमी में सुख लीनोजी । सुखे अठम पारणो कीनोजी । सत्य स खण्ड ३ हायी अमोल सीनो ॥ धर्मी ॥ २७ ॥ ॐ ॥ दुहा ॥ नरम बीछोणे दंपति । सूता सुः ।। १ तेला | खे ते दोय ॥ डोसी प्रेम आइ कहे । घर की वीती रोय ॥ १॥ पहिली महारा घर विध
। धन कुटम्ब थो अपार ॥ पति पुत्र चउ बहु मरी । रही इकेली निराधार ॥ २N ॥ वृद्ध वये तन ए थवयो । होवे नहीं कुछ काम ॥ एसंपत सहू तुम तणी । मुज को हो विश्राम ॥३॥ जिनदास कहे मातजी । इण खेडा के मांय ॥ सूहावे नहीं मुजभणा । धर्म ध्यान नहीं थाय ॥ ४ ॥ तेह थीपुर पोलांसमें । रहां जोगस्थान जाय ॥ आप पण साथ चलो । सेवा करस्यूं आय ॥ ५॥ ७ ॥ ढाल १० दशमी ॥ नेणा निहाले । | हो राणी देवक जी ॥ यह० ॥ धर्म किया थी हो सुख पावे जीवडो जी । जगे एक
धर्म आधार ॥ धर्मथकी हो सह आसा फले जी । धर्म नर तन सिणगार ॥ धर्म ॥१॥ AN दूजे दिन ते धर्मी दंपती जी । गाडी भाडे जी कीध ॥ माजीने कहे चालो हम संगे जी।
करसा सेवा साविध ॥ धर्म ॥ २ ॥ बृधा कहे छे जी एह घर छोडने जी। मुज ने किहा ।। न सुहाय ॥ सार कीजो थे जोइ अवसरे जी । बोलावू तब तुमतांय ॥धर्म॥ ३॥ मान्या बचन ए निजदास जी तदा जी। देवे एक रत्न तिण तांय ॥ डोसी कहे इणने में भाइ