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________________ फुके कान || देवर नारी धनवंत पा । फूल्या फिरे गुमान ॥ ३ ॥ बहु के हुकम सासू रहे | बेटाके में बाप ॥ आंपांने गिणें नहीं । सम ज्यो न भोला आप ॥ ४ ॥ थे पहर दोडी करी । लावो धन कमाय ॥ में रात दिन घर के विषे । पच्या छां धंदा मांय ॥ ५ ॥ ७ ॥ ढाल२ दूसरी ॥ सुणों सिमंधर श्वामी ॥ यह ॥ थे सुणीयों साहिब शाणा । मानो जी कहणा म्हाना । म्हें सुख चावां छां थाणा हो ॥ १ ॥ इम नारी फूट पडावे ॥ आं० ॥ या जादू गिरनी देराणी । इण फेर्या सुख पे पाणी । वस कीना सेठ सेठाणी हों ॥ इम ॥ २ ॥ इण सबका मूढा बन्धाया । बली कांदा खाणा छोडाया ॥ ज्यूंना आचार गमाया हो ॥ इ ॥ ३ ॥ यह वणीया राजा राणी । हम दासी सम लेखाणी । कांइ मोल हमने आणी हो ॥ इम ॥ ४ ॥ यह देखे जग तमासा । सहू करे आपणां हाँसा । | में उंडा न्हाख नीसासा हो ॥ इम ॥५॥ यह काम करे कुछ नाहीं । नित ऊठ स्थानक में जाइ । सीधा भोजन जीमे आइ हो ॥ इम ॥ ६ ॥ वली करे मशकरी म्हणी | कहे अध र्मी ने अज्ञानी । हम घट में लाय लगाणी हो ॥ इम ॥ ७ ॥ इम नित दुःख सेवां अपारो । किण आगे करां उचारो। कहो कांइ बांक हमा रीही ॥ इम ॥ ८ ॥ यह दुःख | हमसे न खमावे । मर वा की मन में आवे । पण आप की प्रीती बचावे हो ॥ इम ॥ ९
SR No.600300
Book TitleJindas Suguni Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherNavalmalji Surajmalji Dhoka
Publication Year1911
Total Pages122
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size12 MB
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