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________________ बीडो झेलियारे लाल । मैं उमायो वरवा नार हो ॥ ज ॥ थाणे आगल भागियोरे लाल पामा इहां ते कुँवार हो ॥ ज ॥ का ॥ ८॥ गुप्त रही जोइ कलारे । जोगी गयो तिण वार हो ॥ ज ॥ रुपसुन्दरीने लेववारे लाल । उघाड न लागो द्वार हो ॥ ज ॥ का ॥९॥ कर चव्या सिल्ला थकीरे लाला । खेंच्या नहीं छूटत हो ॥ ज ॥ तब पस्तावो अती थयोरे | लाल । फंदं आइ फंदत हो ॥ ज ॥ का ॥ १०॥ सांजे जोगी आवियारे लाल । मुजने चेंट्यो जोय हो ॥ ज ॥ असुरत्त क्रोधे भयोरे लाल । कहे चोरी ऐसी होय हो ॥ ज ॥ का ॥११॥ जाणे नहीं तं मुज भणीरे लाल। आयो लेवा माल हो ॥ ज | मार मारी मुजने छ लाल म जाण्यो आयो काल हो ॥ ज ॥ का ॥ १२ ॥ विनवणी काना घणीरे लाल । नहीं आइ तस पीर हो ॥ ज ॥ तत्क्षण विद्या प्रभावधीरे लाल । मुजने बणायो कीरे हो २ तोतो ॥ ज ॥ फ ॥ १३ ॥ मंत्र थकी मुज बान्धियोरे लाल । न जवाय धन्ही उल्लंघ हो । ज ॥ फिर यो जंगल आइ बैंटू इहारे लाल ॥ध्यान तुमारो अभंग हो॥ज॥ क॥१४॥ मदन आसी मुज छोडसीरे में I लाल । करी कोइ दाय उपाय हो । ज ॥ आज पुण्य प्रभावथीरे लाल । तुम भेट्या मुज || आय हो ॥ ज ॥ का ॥ १५ ॥ ना कह्यो इण कारणे रे लाल । रखो उलजो इण ठाम में हे ॥ ज ॥ छोडन हार औरको नहीं रे लाल । कुण करे सघला काम हो ॥ ज ॥ का ॥ ॥ १६ ॥ जोगी रूपे ढोंगी छेरे लाल । निर्दय हृदय कठोर हो ॥ ज ॥ रिसायो बुराथी १ दया
SR No.600299
Book TitleMadan Shreshthi Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherSukhlal Dagduram Vakhari
Publication Year1942
Total Pages304
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size22 MB
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