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खण्ड
उठायो उठे नहींरे । रह्यो नींद घुररायरे ॥ पत्तो ॥२॥ उठाइ बैठो करेरे । तेतो पड २ | जायरे ॥ बड २ करे जोगी मनथीरे । एतो दारिद्री देखायरे ॥ पत्तो ॥३॥ मांथा फोड इणथी कियारे । कांह न निकससी साररे ॥ जड मूंढ ए कोइ जंगलीरे । उठसी मनथी | | कोइ वाररे ॥ पत्तो ॥ ४॥ भोजन शीतल क्यों करूंरे । लेवू शीघ्र थी भोगरे ॥
उगों ते मूकी देउरे । इणपर कर मन्योंगरे ॥ पत्तो ॥ ४ ॥ उठी गयो गुफा विषेरे। , | जोवे मदन द्रष्टि पसाररे ॥ गुफा माथी सुणवियोरे । जाणे रोवे कोइ नाररे ॥ पत्तो । | ६ ॥ अरे दुष्ट मुज छीवे मतीरे । क्यों लाग्यो म्हारे लाररे ॥ प्राण लेवण इच्छा दिखेरे ॥ नहीं करूं तुज संग प्याररे ॥ पत्तो ॥७॥ दूर रहे म्हारा थकीरे । जो जरा म्हारी || पीठरे ॥ हूं छू राजरी पुत्रीकारे । तूं तो दीसे छे कोइ धीठरे ॥ पत्तो ॥ ८॥ जोगी
६ कहे मीठासथीरे । क्यों करे निकम्मो शोगरे ॥ भोजन तो भोगी लहेरे । जराक मुज १ टेख सामो छोगरे ॥ पत्तो॥९॥ दो मांस तुज इहा भयारे । अजु ओलख्यो मुज नायरे ॥
मुजसम जगमां को नहींरे । विद्यावल में सवायरे ॥ पत्तो ॥ १० ॥ एकवार प्रसन्न म हारे । जो तूं म्हारा विलासरे ॥ तुज कृपाको तिरस्यों अछ्रे । पूर २ म्हारी आसरे ॥
पत्तो ॥ ११ ॥ चल तूं पहली जिमलेरे । इम कही लायो तस बाररे ॥ते जोगीने अण छीवतीरे । कर्यो थोडो सो अहाररे ॥ पत्तो॥१२॥ जोगी दूर बैठो थकोरे। बांतां
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