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रात्री
P काली चउदश आइ जिण दिन । मदनजी विचारी ॥ आज निशा ये कुँवरी आवसी ।
कालीक दुवारी ॥ मद ॥ १॥ हूं पहली जा रहूं तिहां अब । करी सहू तैयारी ॥ धन्न माल ते बहुलो लासी । मुज कमी कछू नारी । म ॥२॥ खाती खातण ने पगलाग्यो। रखजो कृपारी ॥ थोडा दिनमें पाछो आस्यूं । काम छे इणवारी ॥ म ॥ ३ ॥ पुण्या अट्टम सहम बताइ । आयोग्राम वारी ॥ सूतो सुखे कालिका सरणे । वाट जोतो नारी
म॥४॥ मेहल में कुवरी अवसर जोह। कीनी तैयारी ॥गेणो नाणो भया तोबरे। | वस्त्र श्रेयकारी ॥ मद ॥५॥ मरदानी सिरे पाव सज्यो तन । धामनी अतिकारी ॥ शस्त्र | वस्त्र सज हुई अश्वपर ।। कीनी सवारी ॥म ॥५॥ गली गुंची गुप्त मार्ग फिरती । | आइ गाम बारी । देवालय पासे ऊभी रही । मधुरी पुकारी ॥म ॥७॥ चालो वल्लभ देरन करिये । पूरो इच्छा सारी ॥ हुकम प्रमाणे आइ ऊभी । नाथजी अबलारी ॥म॥ ८॥ सुणी मदन चुप चाप उठियो । आयो कुँवरी मांरी ॥ रीते घोडे आइ बैठो । बोल्यो में न लगारी ॥ ९॥ आगल मदन पाछल कुँवरी । चाल्या आगारी ॥ कुँवर मन सजावण कारण । कुँवरी उच्चारी ॥१०॥ दोहा छंद चोपाइ गूढार्थ । कह छे तेवारी ॥ पहेली में | प्रश्नोत्तर पूंछे । बुद्धि देखाडी ॥ ११॥ मदन चिंतवे चुप्प रेवणो । इहां छे गुणकारी ॥ | मून रयो कछु उत्तर न दे ॥ कुँवरी विचारी ॥ म ॥ १२॥ निशा घोर तम दीसे नाही ।
२ अंधारो