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जो बात जी ॥ देखो ॥ ८॥ प्रेम पत्र ज्यो कुँवरी हुलसाइ । खोली हृदय लगाय जी ॥ मुक्तामाल सरीखा अक्षर । मतलबी शर जणाय जी ॥ देखो ॥ ९॥ सुभाग्ये मुज का एहवा पतिमिले । जन्म जासी सुख मांय जी ॥ मुजने अंतःकरण थी चहावे । शीघ्र करूं
हूं उपाय जी ॥ देखो ॥ १० ॥ इहां रह्यां मेलो नहीं होवे । रहणों प्रदेशे जाय जी ॥ | तोमन मानी मजा भोगवां । पुनरपि पत्र लिखा य जी ॥ देखो ॥ ११॥ प्यारा प्रेम सदाइ, निभाता । मात पिता प्रच्छन्न जी ।। पर देशे चल सुख भोगवा । दाखावो आपको मनजी | ॥ देखो ॥ १२॥ कर खामण दीधो मूर्खने । बांच्यो निज घर आय जी ॥ खुशी होइ ने | | उत्तर लिखियो ॥ युक्ती अजब मिलायजी ॥ देखो ॥ १३ ॥ मुज घर संपति तातने र हाथे । पगथी नहीं चलाय जी । मोज मजा सब घनथी होवे । तेहथी सुणो चित लाय
जी॥ देखो ॥१४॥ युगल अश्व चडवा ने चैये। खरचषा बहुलो धन जी ॥ चलवाको दिन कीजे कायम । किसे स्थान मिलन जी ॥ देखो ॥ १५॥ इण प्रश्न का उत्तर कारण । प्यासो छु इणवार जी ॥ मनसा होवे तो दरशावो । तो होवू हूं तैयार जी देखो ॥ १६ ॥ लेइ कागद नवी धोती ॥ आयो कुँवरी पास जी ॥ नाचे कूदे धोती बतावे । वक्सीस दिये खास जी ॥ देखो ॥ १७॥ और समाचार किस्या तूं लायो। तेतो पहला बताय जी । तब पत्र मेल्यो मुख आगल । प्रेमोत्सुख हो उठाय जी ॥ देखो ॥१८॥