SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 57
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ खण्ड २ में मिलवा कन्या चावे । पण नहीं मिले ते जोगो जी ॥ डरतो नहीं मिले प्रधान पुत्तर । | वैम धरसी कोह लोगोजी ॥ म ॥ १४ ॥ कुँवरी पत्र देवण ने इच्छो । मनका भाव दरशा| वाजी ॥ तेतले मदन मूर्ख तिहां दीठो । एहथी करूं मुज चावाजी ॥ म ॥ १५॥ तत्क्षण तेहने पास बुलायो । ते शीघ्र दौडो आयो जी ॥ रे मूर्ख तुज नाम किस्यो छे । ते कहे | तुम बोलायो जी । म ॥ १६ ॥ किहां रहे ? फिरूं ग्राम के मांही। काम न किस्यो मुज तांइजी ॥ जे मिले ते रहू हूंखाह । इम कही हँस्यो तिण ठाइ जी ॥ म ॥ १७॥ मैं कहूं ते काम तूं करसी ? । मूर्ख भयों हूंकारो जी । तब प्रधान तनुज ने बतावे । इणरी ओलख धारो जी ॥ म ॥ १८॥ फिर पूंछे तू भण्यो के ठोटी ? । ते कहे हूं तो ठोटीजी । मूर्ख नाम बज्यो मुज तेहथी । सीधी मिलेछे रोटीजी ॥ म ॥ १८ ॥ इम सुणी कुँवरी खुश हुइ मन । डर मिटायो मन केरोजी ॥ विश्वासी लालच देइ तिणने। प्रगट करे मन लेहरोजी ॥ म ॥ २० ॥ मैं बताया तिनने पेछाण्या। मूर्ख आ हाथ लगा-16 योजी ।। एहीज छे प्रधानकुंवरजी। दोनों तब शरमायाजी ॥ म ॥ २१ ॥ गुप्त पत्र तब लिखियो कुवरी । हूं मन थी तुमे चाहूंजी ॥ जरूर मिलो एकांते आइ । डरजो मत दरशाबूंजी ॥ म ॥ २२ ॥ दियो मूर्ख ते गुप्त दे कुँवरने । बाहिर आइजी ॥ बांची हरष्यो मनके मांही । उत्तर पोते लिख्याहजी ॥ म ॥ २३ ॥ आइ बैठो प्रधानपुत्र कने। 143325243MARINER २
SR No.600299
Book TitleMadan Shreshthi Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherSukhlal Dagduram Vakhari
Publication Year1942
Total Pages304
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy