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________________ ण्ड ७ १४० करे चुंपसे । उभय पक्ष सुयोग ॥१॥ सामायिक त्रिकालकी । पौषध छे छे मांस ॥ प्राप्त वस्तु थी अधिक । तजी सर्व द्रव्य आस ॥२॥ चारराजका कृत्य को । राख्ये | छे आगार ॥ बाकी इच्छा पर हरी । तजी पंच वरनार ॥३॥ तन मन धने दीपावता ।। श्री जिनेश्वर धर्म ॥ चउ तीर्थको पोषता । समज्या धर्म का मर्म ॥४॥ ढाल १५ | मी ॥ आज तो बधाइ राजा नाभ के दरवाररे ॥ यह ॥ अर्थ धर्म साधक है। मदन | परिवाररे । आं। मूल स्थान अजुध्या में । रह्या सह ते वाररे ॥ अर्थ ॥१॥ इच्छा हुया वैठ विमाणे । फिरे इच्छा चाररे ॥ अर्थ ॥२॥ चारही राज संभाले पोते। करी सुख उपचाररे ॥ अर्थ ॥ ३ ॥ वटपुर मिलवाने गया । श्रीधर जे वाररे ॥ अर्थ ॥ ४॥ राज देइ मारिया राजा । श्रीधर करे संभाररे ॥ अर्थ ॥ ५ ॥ दोय श्यामा श्रीधरनी। 5 रूप गुणे श्रेयकाररे ॥ अर्थ ॥ ६॥ रूपवतिने पुष्पवती संग । भोगवे सुख संसाररे । अर्थ ॥ ७ ॥ दोहने दो नंद हुया। रूप गुण तदकाररे ॥ अर्थ ॥ ८॥ पद्मसेण गुणदत्त नाम गुणाधाररे ॥ अर्थ ॥ ९ ॥ मेतारजने धन्नश्री । हुवा एक कुँवाररे ॥ अर्थ ॥ १० ॥ नाम जसोघर दीपे । करे चैन चाररे ॥ अर्थ ॥ ११ ॥ अंगजने प्रियेकरी। नारी सुखकाररे ॥ अर्थ ॥ १२ ॥ गुण शील कुँवर हुवा । रूप गुण उदाररे ॥ अर्थ ॥ १३ ॥ मदन ने नारी पांच । अपच्छरा अनुहाररे ॥ अर्थ ॥ १४ ॥ रत्यवती वैश्य पुत्री । चार
SR No.600299
Book TitleMadan Shreshthi Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherSukhlal Dagduram Vakhari
Publication Year1942
Total Pages304
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size22 MB
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