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________________ खण्ड ७ FE जी । चाल्या ग्राममें अंबर गाजिया जी ॥ आ॥ ९॥ नर नारी जोवे बहु गम्म मिल्या जी । हाट वाट ग्रह छत्त मांहे ठल्याजी ॥ आ ॥ १०॥ सहू मदनने अथिको दाखवे जी ।। गण गुण मुख तास ही भाखवे जी ॥ आ ॥ ११ ॥ देखी ऋद्धि वसुपति शाहा तणी | जी । लोक जाणे ए छे स्युं भरत धणी जी ॥ आ॥ १२ ॥ राय मेहल दियो मोटारेण | ने जी । तिहां वसुपत उतरू संग सेणनेजी ॥ आ ॥ १३ ॥ राजादिक निज स्थाने गया जी ॥ ग्रामे आनंदवर्ती रह्या जी ॥ आ ॥ १४ ॥ पसरी परसंस्था सुगन्ध परेजी ॥ धन्य वसुपति सहू उच्चरेजी ।। आ ॥ १५॥ भोजन भक्ती करी सुख पाधिया जी । बहु उत्सव काल गमाविया जी ॥ आ॥ १६ ॥ लीनी खबर ज्युना घर तणी जी । शावासी मुनीमने दी घणी जी ॥ आ ॥ १७ ॥ सहू ग्राम भणी जिमाविया जी॥ वस्त्र भूषण सहूने पहराविया जी ॥ आ ॥ १८॥ पीयर थी बुलाइ चारुं बहु भणी जी॥ ते पण हुइ खुशी घणी जी ॥ आ ॥ १९ ॥ देखी ऋद्वि राजेश्वर जेहवी जी ॥ मान्यो | अहो भाग्य आपणो तेहवी जी ॥ आ ॥ २० ॥ विद्या बले मदन सिधाविया जी। सुवर्ण पोरसो कहाडी लाविया जी ॥ आ ॥ २१ ॥ तेह रख्यो गृह गुप्तमें जी । कोह नहीं करी सके लुप्तनेजी ॥ आ ॥ २२ ॥ दानशाळा मंडाइ देशमें घणी जी । करे| पोषण अनाथ अगनी जी ॥ आ॥ २३ ॥ विद्या बृद्धीना कार्य लय किया जी । धर्म
SR No.600299
Book TitleMadan Shreshthi Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherSukhlal Dagduram Vakhari
Publication Year1942
Total Pages304
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size22 MB
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