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खण्ड ७
भूप सुणी विस्मित भया । कुण ए आया किंण काजरे ॥ पू ॥ वैर नहीं महारो किण थकी | । ए छे किहांना राजरे । पू ॥ १५ ॥ जो लडवाने आवता । तो भेजता आगे दूतरे ॥5॥ कारण अन्य दीसे सही । कोइ खवर लावो रजपूतरे ॥ पु ॥ १६ ॥ सामंत तत्क्षण सज हुइ । आया पदन शैन्य मायरे ॥ पू ॥ वसुपति सेठने पेखने । ते अति आश्चर्य लायरे ॥ पू॥ १७ ॥ तस सत्कार्यों सेठजी । उंच आसण बैठायरे ॥ पु॥ पूंछे सामंत सेठसे । आप || पधार्या किण नृप सहायरे ॥ पू॥ १८ ॥ सेठ कही सहू षारता । मदन श्रीधर वीतरे ॥ पु
सुण आश्चर्य पाया अति । कहे धन्य २ पुत्र विनीतरे ॥पू ॥१९॥ फिर आया महीपालपे । भरी सभारे मायरे ॥ पू ॥ वसुपति सेठकी पुण्य कथा । दी सहुने संभलायरे H॥ पु ॥ २० ।। सुणी हा राजेश्वरु । धन्य २ महारा भाग्यरे ॥ पु॥ मुज वस्तीका एहवा
साहूकार सौभाग्यरे ॥ पू॥ २१ ॥ हूं लावस्युं बधायने । करावो शैन्य तैयाररे ॥3॥ पुरमें पसरी वारता । वसुपति आया सह परिवाररे ॥ पु॥ २२॥ शैन्या तस पासे घणी। पांच राज स्वाधीनरे ॥ पु॥ जे सुणे ते आश्चर्य लये । अहो २ पुण्याप्रवीनरे ॥पु॥ २३ ॥ | बसुपतजी की दुकानपे । सुणियां मुनीम समाचाररे ॥ पुण्य ॥ सेठ थी मिलण उमाइया। सहु सजन हुवा तैयाररे ॥ पु ॥ २४ ॥ राजा प्रजा शैन्य संगे । चाल्या बाजित्रने नादरे ॥ पु॥ ढाल दशमी सप्त खन्डकी । अमोल भणे हुयो समादरे ॥ पू॥ २५ ॥ दोहा ॥ वसुपत
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