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कहे शीघ्र चालिये । बधाइ लावां पुरमांय ॥ अचिंत्य ए मौको मिल्यो । पूरां सहू मनरा |चाव ॥ ॥ ९ ॥ मेहलां में जाइ भूपतीजी । कही राणीने बात || रंभा मंज्जरी आइ छे । | जवाइजी के साथ || रा ॥ १० ॥ हँसी समजी राणी कहे । अब क्यों करो गयो दुःख याद ॥ पुण्य विना कम भोगिये । बाह जवाईका अहलाद ॥ रा ॥ ११ ॥ वीतक बात राजा कहीजी | तब आइ परतीत । हर्ष पामी अति घणो । जागी पूर्बली प्रीत ॥ रा ॥ १२ ॥ चतुरंगी शैन्या सजी । राय राणी हुवा तैयार ॥ उमंगे सह संग चलीजी । आया ग्रामके बार ॥ रा ॥ १३ ॥ फोज आवंती देखने जी । चमक्या मदन का लोक ॥ चेताया मदन भणी जी । आवे बहुलो थोक ॥ रा ॥ १४ ॥ मदन बाहिर आषा देखवाजी । आगे आया कोटवाल || प्रणमी कहे लेवा भणी जी । सामे आवे नृपाल || रा ॥ १५ ॥ मदन जी सामंत सगलेजी | पायचर सन्मुख आय ॥ महेंद्रपती पाला हुयाजी | देखी हियों | हुलमा | T || १६ || मिल्लिया वांय पसारने जी । पूछयो सुख समाधान ॥ सुखासन सह बेठिया जी । जोइ हर्ष्या पुण्यवान ॥ रा ॥ १७ ॥ राणीवृंद दास्यां तर्णेजी । आइ | बाइ पास || मा बेटी प्रमातुरी मिली। आश्रुपात हुल्लास ॥ रा ॥ १८ ॥ बाइ तूं गुणवंत छे। किया मोटा नृप भरतार || क्षमो अपराध सहू हम तणो । हम कियो विगर विचार ॥ रा ॥ १९ ॥ कुँवरी कहे आप पुण्यथी में । पाइ सघलो सुख ॥ सखी सहेली सह
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