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________________ % % % ॥श्रो ॥ प्रणमी वनिता पभणे । वेगी पूरजो आस ॥ भो ॥ पुण्य ॥१०॥ विद्या * बलथी चलावियो । अंतरिक्ष में विमाण ॥श्रो ॥ जाणे दूजो रवी प्रगट्यो । गति वायु | समान ॥ श्रो॥ पुण्य ॥ ११ ॥ थोडी वारमें आविया । कामदेवने स्थान ॥ श्रो॥ तेतले रवी छिप्यो पश्चिममें । स्थंभाव्यो विमान ॥ श्री ॥ १२॥ उतर्या मदनजी हर्ष | थी । प्रणम्या यक्षका पाय ॥ श्रो॥ इच्छा पूरक आज भेटतां । हिवडे हर्ष न मांय ॥ श्रो ॥ पुण्य ॥ १३ ॥ पूनम पूरो प्रगट्यो । पूर्वदिशीमें चन्द ॥श्रो । तेतले तिहां प्रगटी। षोडश खेचरी सम्बन्ध ॥ श्रो॥ पुण्य ॥ १४ ॥ प्रणमी पद ते यक्षका । मदनेश्वर तिहां में #जोय ॥ श्री ॥ पेछाणी मन हुलस्यो । बोली हर्षित होय ॥ श्रो ॥ पुण्य ॥ १५॥ मदन नमन तिणस्यू कियो । कहे आज धन्य भाग्य ॥ श्री॥ दर्शन चित प्रसन्न हुयो में बोली जगावे अनुराग ॥ श्री॥ पुण्य ॥१६॥ रती सुंदरी कहे तुम तणी । घणी जोहर हम वाट ॥ गइ पूनमें आया नहीं। हुयो चित उचाट ॥ श्री ॥ पुण्य ॥ १७॥ वैम केह चितमें उव्या । कियो घणो पश्चाताप ॥ श्रो॥ आज दर्श जो तुम तणा । टलिया सह उंचाट ॥ पु ॥ १८ ॥ मदनजी वीती निज कथा । कही सहू विस्तार | श्री ॥ सीलेइ सुणी विस्मित हुइ । धन्य २ तुम अवतार ॥ श्रो॥ १९ ॥ बात विनोद नी ए करीब । ढाल द्वादश माय ।। श्री ॥ अमोलख ऋषि ए रची । खन्ड पंचम सुखदा य % % %
SR No.600299
Book TitleMadan Shreshthi Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherSukhlal Dagduram Vakhari
Publication Year1942
Total Pages304
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size22 MB
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