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लुली नमस्कारो ॥ नेनाश्रुत होइ बोले । राख जो कृपा आधारो ॥ देखो ॥ १५ ॥ जोगी कहे आज किस्यो करो इम । उपज्यो किस्यो विचारो ॥ सूरवीरने कायरता जो। | आश्चर्य आय अपारो ॥ देखो ॥१६॥ मदन कहे आपसे मुज श्वामी । गुप्त न बात | लगारो ॥ आधी अंत आज ताइकी वीती । कह दियो सत सारो ॥ देखो ॥१७॥ हिवे श्वामी जल लेइ आगड थी । जावो खेचरी द्वारो ॥ राज पुत्री पुर पयठाण मेली । वचन पाडूं मुज पारो ॥ देखो ॥ १८ ॥ अंतराय दर्शननी पडसी। एही लगे मुज खारो ॥ अन्य कायरता कोइ नहीं चित । आपको मुज आधारो ॥ देखो ॥ १९॥ कर सिरधर जोगी प्रेमातुर । कहे सिद्ध काम छे थारो ॥ तूं पुन्यात्म जगत जेष्ट छ । आगे
वढसी विस्तारो ॥ देखो ॥ २० ॥हम सुणी मदन हर्षाया । ढाल हुइ ये इग्यारो ॥ कहे IFI अमोल नव २मी । मदन कथा मनहारो॥ देखो ॥ २१॥ ॥दोहा॥ जोगी अवसर
देखने । दीनो दंड तस कर ॥ जा ला पाणी कूपथी । न रख कोइको डर ॥१॥ मदन | मन आनंदने । दंड तुम्बी करधार ॥ निशंके चल आया तिहां । पेठा कूप मझार ॥२॥ असुर कहे फिर आदियो । रे धीठा सिरदार । मदन कहे धार्यों करो । हूं ले जल इण | वार ॥ ३ । जोर न चाल्यो देव को । मदन शीघ्र भर तोय ॥ मूंछे ताव देता थका । ले चाल्या खुश होय ॥४॥ दे दंड जोगीने नमी । आया निज आगार ॥ इष्ट साधवा
१ पाणी.