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________________ म. श्रे. खण्ड ५ ७७ १ पाणी में नहीं करस्यूं पहला परे । घणी मेहनत थी पाया हो ॥ व ॥ म ॥ १३ ॥ मदन कहे तुमकहो , सोसाची । ओलंभो शीस चडावं ॥ कारण तुम जाण्यो नहीं जे वण्यो । ते में आज जणावें ॥ व ॥म ॥ १४ ॥ तुम गया पीछे दिन घणो जो । मुज पूरी करवा कामो ॥ सात बड मध्य कूपमें पेठो । नीर लेवानी हामो हो ॥ व ॥ म ॥ १५ ॥ अचिंत्य मुजने कोई | उडायो । एक बडनें चेंटायो । ते वटवृक्ष गगन उड चाल्यो । जयंती वारे ठायो हो ॥ व ॥ म ॥ १६ ॥ तिहां पण एक कौतक निपज्यो । एक शह मुजने उतार्यो ॥ तेतो चेंट्यो तेहीज वडने । तस कुटुंब मुज माया हो ॥व ॥ म ॥१७॥ ए गुरु मुज महाउपकारी । विद्या गुण का दरिया ॥ हम दोनूं का प्राण बचाया। उपकार केइ करिया हो सवा ॥ म ॥ १८ ॥ सत्संग मिले पुन्यने जोगे । तेहिवे नहीं पिछडाइ ।। गुरुजी साथे आयो हूं फिरतो ।। वा मिलिया तुम इहां आइरे ॥ व ॥ म ॥ १९ ॥ बचन पार पाडण हूं आतो । आनंदपुर अव | चाली | भाग्य जोग मिलिया तुम विचमें । कहे इम बचन रंसाली हो ॥ व ॥म ॥२०॥ इस सुणी दोनूं हर्षाया । मदन चरित्र विसालो ॥ कहे अमोलक खन्ड पांचनी ॥ प्रथम ढाल रसालो हो ॥ व ॥ मदन ॥ २१ ॥ * ॥ दोहा ॥ जोगी अगंज जो चरी । आश्चर्य पाया | अपार ॥ सागरसम मदन ए । झलके नहीं को वार ॥१॥ काम किस्या २ इण किया। और भी करना केय । ते ए कही न जणाविया । आश्चर्य मोटो एह ॥२॥ खेचर पति
SR No.600299
Book TitleMadan Shreshthi Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherSukhlal Dagduram Vakhari
Publication Year1942
Total Pages304
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size22 MB
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