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________________ १ घरम हो ॥ मान मरोड्यो द्रढ थयो । पेठा सदनने माय हो ॥ वै ॥५॥ मेहतो तब बिलखोर भयो । आयो उतारे ताम हो ॥ बात कही निज साथमें । ए थयो खोटो काम हो । के ॥७॥ दो मोटा सहाजी मिली । आइ कुँवर समजाय हो ॥ ॥ कपटण वैश्याए कहीं । चालण न दे उपाय हो ॥ वै ॥ ८॥ सहू समजाइ थाकिया । सुस्ताइ रह्या स्थिर हो ॥ गुणचन्द लुब्ध्या भोगमें । जोयो नहीं घर फिर हो ॥ वै॥९॥ रमवा लाग्या जूवटो ।। धन चाहिये सो मंगाय हो | दिन केत्ताइ पूरियो । मुनीम तम धबराय हो ॥ वै ॥१०॥ चाकर नोकर छूटिया । साथी दिया छिटकाय हो । निज २ धंदे सहू लग्या ॥ वैपार | पण बन्धथाय हो ॥ वै ॥ ११ ॥ वैश्या प्यारी वित्तंनी । जाणी निरधन तास हो ॥ कहे | निकलो मुज गेहथी। नहीं तो पासो त्रास हो ॥ वै ॥ १२ ॥ मोह लंपट ते न तजे । तष कियो अपमान हो देइ धक्का कढाइया । नौकर हाथे तान हो ॥ वै ॥ १३ ॥ चल आया दुकानपे । सूना देख्या धामहो। कारमा हो ॥ वै ॥ १४ ॥ मेहता देख कुँवारने । आदरदे लिया माय हो । नरमांड कहे वरने चंपा चलो हिवणाय हो ॥ वै ॥ १५॥ हूं कारो कँवर भर्यो । मेहतो विश्वास लाय हो । रह्यो माल कुँवर भणी । दियो तब संभलाय हो ॥ वै ॥ १६ ॥ धोमनीये | लेइ द्रव्य ते । पहोंचा वैश्या गेह हो ॥ द्रव्य लाया तस देखने । दरशावे ते नेह हो । RBHABWABHBHISHESARNAMASY २ धनकी
SR No.600299
Book TitleMadan Shreshthi Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherSukhlal Dagduram Vakhari
Publication Year1942
Total Pages304
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size22 MB
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