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फलिया ॥ गु ॥ २५ ॥ आगे करामात करखी घणेरी । सुण जो सह हित चित देरी || गु ॥ २६ ॥ तीजो खन्ड समाप्त था । ढाल पन्नर ऋषि अमोल गाइ ॥ गु ॥ २७ ॥ ॥ तृतीय खन्ड सागंत हरीगीत छन्द || वन जोगी घर मिली कन्या । शुक उपाय बता| विया ॥ जो खेचरी नृत्य बचन ले । उजडपुर में आविया । चेंटीवट उड गया जयंती । जोगी करामाती पाइया । एती चरी खन्ड तीसरे । अमोले ऋषि दरसाविया ॥ ३ ॥ परम पूज्य श्री कहानजी ऋषिजी महाराज के संप्रदायके बाल ब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलख ऋषिजी रचित पुण्य प्रकाश मदन कुँवर चरित्रस्य तृतीय खन्डम् समाप्तम् ॥ ३ ॥
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