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________________ प्रभावती कथा श्रीदे चैत्यश्रीधर्मसंघाचारविधी ॥४४८॥ mammmmmmmmmIMARATHIMIPIHAR विसअइ यं । सा भणइ दंससु निवं पज्जोयस्साह सो गंतुं ॥१२॥ नलगिरिमारुहिय इमो निसि पत्तो तत्थ तीइ अभिरुइओ। जिणपडिमं संगिण्हसु एमि अहं अन्नहा नेव ॥६३।। अह गंतु सो सनयारे पडिरूवं कारिउं तहिं पचो। तं मुतुं जिणपडिमंदासि गहिउँ गओ सपुरि ॥ ६४॥ गोसे सकरी सोउं नट्ठमए चेडियं अवहडं च। कुविओ उदायणनिवो जा जोयावेइ जिणपडिमं ॥६५|| ता तं मिलाणमल्लं दट्टुं दसमउडबद्धनिवसहिओ। पजोयनिवस्सुवरि चलिओ काले निदाघम्मि ॥६६॥ पत्ते मकैमि सिने मिसं तिसापीडिए सरइ राया । झत्ति पभावइदेवं स विउन्बइ पुक्खराण तिगं ॥६७॥ तं पाउ पाउ सलिलं सत्थे सिन्ने सुरो गओ सपर्य। राया उदायणोऽविहु उज्जेणिपुरि कमा पत्तो ॥६८॥ तत्थ उदायणरन्नो अवंतिनाहस्स यवयणेण । अचिरा परुप्परेण रहसंगरसंगरो जाओ ॥६९।। तयणु धणुद्धरपवरो रहमारुहिउँ उदायणो पत्तो। गुणटंकारमुदारं कुणमाणो समरभूमीए॥७०|| नाउ रहाजेयमुदायणं निवं नलगिरि चडिय पत्तो। रणभुवि पजोओऽविहु बलवंते का नणु पइन्ना ॥७१।। नलगिरिगयमारहं तं दट्ट उदायणो भणइ रुट्ठो । पाविट्ठ भट्ठसंधोऽसि तहावि नट्ठो सि रे धिट्ट! ।। ७२ ॥ इय भणिय मंडलीए रएण सरहं नियो भमाडतो। निसियसरेहि विंधइ वीसुं करिणो पयतलाई ॥७३॥ तो लहु हत्थीपडिओ धरिऊण उदायणेश पजोओ। मम दासीवई || एसत्ति अंकिओ कोवविवसेणं ॥७॥ गंतु तओ विदिसीए अत्थिा देवाहिदेवपडिमं जा। उप्पाडइ नरनाहो ता भणइ सुरो अहो भूव ! |७|| मा नेसु तत्थ पडिमं वीअभए पंसुबद्दवो होही। तो राया सविसाओ नमिय व्यं सपुरभमि चलिओ॥७३॥बुट्ठीइ अंतराले खलिओ सिविरं निहित्तु तत्थ ठिो । काऊण धूलिवप्पे दमवि निवा तस्स रक्खट्टा ॥७७॥ अह पज्जुसणादिवसे कयउववासे उदायणे सूओ। पुच्छइ पज्जोयनिवं का तुह कीरउ रसवहति ॥७८|| सोचिंतइ नूणमहं मारिउकामो विसाइणा तत्तो। FAIRolima HEARINEtamil Nalan Has TARATHI ||॥४४८॥ I
SR No.600278
Book TitleChaityavandanbhashyam
Original Sutra AuthorDevendrasuri, Dharmkirtisuri
Author
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year1988
Total Pages490
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size12 MB
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