SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 473
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रीदे० चैत्य०श्रीधर्म० संघाचारविधौ ||४४५|| पोयपहुस्स तमणिय खोडिं तं गच्छ वीयभयनयरे । देवाहिदेवपडिमा इहत्थि साहिज इय मणिउं ॥ ३० ॥ अमरो गओ सठाणं वीयभयपुरे इमोऽवि लहु पत्तो । खोडिमुदायणरन्नो समप्पिउं कहइ सुखयणं ॥ ३१ ॥ तावसभतो स निचो अग्नेऽवि हु | दंसणी बहू मिलिया । नियनियदेवे संसाहिऊण देवाहिदेवत्तं ॥ ३२ ॥ वाहिति तत्थ परतुं न वहइ सो एव सुबहु सव्वेसि। किस्सं| ताणं ताणं जाओ मज्झण्डसम ओति ॥ ३३ ॥ अह चेडगनिवधूया उदायणविस्स वल्लहा देवी । जिणसमए लद्धट्ठा पभावई नाम सुइसीला ॥ ३४ ॥ नित्रमाहोउं पेसह चेडिं भोयणकए स पच्चाह । इय अम्हे किस्सामो सुहिया देवी न हु मुणेइ ॥ ३५ ॥ सा साहइ देवीए सावि विचिंतेइ अहह मूढजणा । मिच्छत्तमोहिया नहु मुणंति देवाहिदेवंपि ॥३६॥ अथ निशीथचूणिः - 'ताहे पभावई | व्हाया कय कोउयमंगला मुकिल्लवासपरिहाणपरिहिया चलिया, बलिधूवपुप्फकडुच्छुयहत्था गया, तओ पभावईए सव्वं बलिमाइ | काउं भणिअं - देवाहिदेवो महावीरवद्धमाणसामी तस्स पडिमा कीरउत्ति पहराहि, पहरिओ कुहाडो, एगेण दुहा जायं, पिच्छंति य पुव्वनिव्वचि सव्वालंकारविभूसिअं भगवओ पडिमं, आणेउं रन्ना घरसमीवे देवयाययणं काउं तत्थ ठविया, किण्हगुलिया नाम दासचेडी मुस्साकारिणी निउत्ता, अट्टमीचउद्दसीसु य पभावई देवी भत्तिराएण सममेव राओ नट्टोवयारं करेइ, रायाचि तयाणुवित्तीय मुखं वाएइ, अन्नया राओ पभावईए नट्टोवयारं करंतीए रन्ना सीमच्छाया न दिट्ठा, उप्पाउत्तिकाउं आउलचित्तस्स रनो नहसमं मुरवक्खोडा न पडंति" ति ॥ रुट्ठाऽऽह तओ देवी नहु जुत्ता देव! देवहरयमि । हासाइ आउ आसा अणाउ देवा इहाहरणं |||३७|| तथाहि - देवहरयंभि देवा विसयविसमोहिआवि न कयावि । अच्छरसाहिंपि समं हासक्खिडाइ हु कुणंति ||३८|| आसायगाउ सव्वा हासविखडाइयाउ जिणभवणे । सिवमग्गअग्गलाओ वज्जिज्ज सया सिवसुहत्थी ।। ३९ ।। तदुक्तं - खेलि केलि कलिं प्रभावतीकथा ॥४४५॥
SR No.600278
Book TitleChaityavandanbhashyam
Original Sutra AuthorDevendrasuri, Dharmkirtisuri
Author
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year1988
Total Pages490
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy