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________________ PA कुणालकथा श्रीदे चैत्यश्रीधर्म०संघाचारविधी ॥३४७॥ S All मेवोक्तः। कुणालकुमारकथा १२५ णिभया । दिनाइ कुमरभुत्तीइ वसइ उजा म मट्रिओ CIEN, Rukminimal वयं ३॥ सण दरिसण४ जाणय जावया५ मुत्तमुकाण६॥१॥ अप्पं अप्पाण७ होइ नवा मइआ महिया८पयासग पहासा९। आइच्चेसुं आइहि१०य चंदेसु चंदेहिं ११ ॥२।। सासयमहर तह सासओ य वारस य इत्य आलावा। अरिहपए तिविगप्पा दुविगप्पा हुति सेसेसु ॥३॥ बारसपएसु एसु य पण पुणरुत्ताई सच पय इयरे । अरिहं१ भयवर उत्तम३ दंसण४ अप्पाण नोसंत ५॥ ४ ॥ ते पुण पुणरुत्तपया दसपटरचउरेदु४पण ५ बार जहसंखं । भयवंतपयवियप्पो तत्थ य राईसुविय नेओ।।५|| संपदगतविशेषस्तु पूर्वमेवोक्तः। कुणालकुमारकथा चैवं-इह पाइलिपुरनयरे नयरेहिल्ले नियो असोयसिरी। पुचो तस्स कुणालो अंइमेहावी कलाकुसलो ॥१॥ मयमायत्ता रन्नो सो अइइट्ठो सवत्तिजणणिभया! दिनाइ कुमरभुतीइ वसइ उजेणिनयरीए ॥२॥ से सिक्खत्थं पेसइ राया बहुसो सयं लिहिअ लेहं । अन्नदिणे पुण एवं लिहइ अघीयतु कुमारवरो ॥३॥ एमेव मुत्तु लेहं कहिंचि कजे समुट्टिओ निवई । विअरइ सवत्तिजणणी अगारउवरि अणुस्सारं ॥४ा पुण आगओ नरिंदो अवाइउं चेव मुद्दि लेहं। पेसइ कुमरस्स न चेव | वायए जा निउत्तनरो ॥५॥ ता तस्स करा गिण्हइ लेहं सयमेव वाइउं कुमरो । जाणितप्परमत्थो थिरसत्तो चिंतइ मणमि ॥६॥ तइलुक्कपसिद्धाणं मोरियवंसुम्भवाण अम्हाणं । न हु केणइ गुरुआणा विलंघिया पुचपुरिसेण ॥७॥ तो साहसिक्कभवणं वारिजंतोवि मंतिपमुहेहिं । तत्तसिलागाइ लहुं नयणजुझं अंजए कुमरो ॥८॥ इय सोउ सोयजुतोऽसोयसिरी झूरए अहो कहूँ । किह कूडलेहगेणं विणासियं पुरिसरयणं मे ॥९॥ कुमरोऽवि मुणिय जणणीइ विलसियं मरिसिओ मणे धणियं । तस्सऽत्थि पिया सरयन्भसुद्धसीला य सरयसिरी ॥१०॥ कइयावि तीइ कुसुमियचूयसुमिणसूइओ सुओ जाओ। अह सो कुणालकुमरो गंधबकलाइ अइकुसलो ॥११॥ अणवरवगीयवसणी गायतो महियलंमि परिभमइ । तइआ नाउं अवसर पचो पाडलिपुरे नयरे॥१२॥ हाहा GAPATHI ॥३४७॥ HINhane
SR No.600278
Book TitleChaityavandanbhashyam
Original Sutra AuthorDevendrasuri, Dharmkirtisuri
Author
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year1988
Total Pages490
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size12 MB
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