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श्रीदे CM मो अस्थि कावि कमा इमस्स जा अरिहइत्ति इचाहे । तभापगयसुया मयंकलेहा तहिं पचा ॥८॥ सा भणइ कि चैत्यश्री
न याणेह नाय! पियर्दसणा सही मज्झ । का सत्ति खेयरिन्देण जंपिए भणइ पुणवि इमा ।।८३॥ अस्थि हु बच्छाविसए कोसं- कथा धर्म संघा
बीए य पवरनयरीए । विहियारिमाणभंगो भूवालो माणभंगुत्ति ॥८४॥ सिट्टी य मुणियत्ततो बहुवित्तो आसि तत्थ जिणचारविधौ |
दत्तो। साइम्मियजिणभनो दढसंमत्तो पवरसचो ॥८५|| नस्स समुन्नयवंसा सुवन्नरयणा य मेरुमुत्तिछ । वसुमइ नामेण पिया धूया पियदसणा नाम ॥८६॥ रूपेण रइसरूवा जम्पणाए सरस्सई सक्खा। लायणोण य लच्छी ललियपयन्नासजिणहंसी ॥८॥ सहियाए सहियाए सहियाइ इमाइ मज्झ सहियाए । सम्मं अणुदिणकरणिञ्जकजच्छकेण जंति दिशा ।। ८८ ॥ भणियं च-- "देवपूजा गुरूपास्तिः, स्वाध्यायःसंयमस्तपः । दानं चेति गृहस्थानां, षद् कर्माणि दिने दिने ॥८९॥" जा अभया उ तीए सद्धिं सद्धम्मकम्मनिरयाहं । विहामि ता पविड मिक्सद तत्थ मुनिजुयलं ॥१०॥ अह नागररिटेणं जिडेणं साहुणा तयं दहें । सिट्ठो मुणी कणिटूठो गरिट्रवणं मं ॥९॥ जिणदत्तसिविध्या एसा पियदंसगा सुयं पगं। पसविय पडियजिरसइ पवजं बजिअ अवजं ॥९॥ तं सोउ हरिसियाऽहं मह सदियक्षिय जहा इहं सहिया । जाइह भवसुहमणुहतिय पाविहिइ परभवतुईपि ॥ ९३ ।। इत्तियदिशाणि एवं कस्मदिन भयाइ साहियं नाय!। सा परमिनस जोगत्ति जमुचियं किजउ तमिहि ॥१४॥ तं सोई अमियगईपमुहे चित्तंगो भगाइ खपरे ! दावेद तत्थ गंतुं तं कन्नं बंधुदत्तस्स !९५॥ गहिकण बंधुदत्त कोसंधीए इने तो पचा । सिरिपासनाइवेश्यविभूसिए वाहिरुजाणे ॥९६॥ काउं तत्थावासे हायविलितो अलंकियसुगत्तो। तत्तो य बंधुदत्तो विजाहरनियरसंजुत्तो॥९॥ गंधवगीयवाइयकरकालरोलमुहलियदियंतो। पवरविमाणारूढो पत्तो जिणमंदिरदुवारं ॥९८॥
Meani॥२२४॥
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