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________________ rasil ॥२२४॥ श्रीदे CM मो अस्थि कावि कमा इमस्स जा अरिहइत्ति इचाहे । तभापगयसुया मयंकलेहा तहिं पचा ॥८॥ सा भणइ कि चैत्यश्री न याणेह नाय! पियर्दसणा सही मज्झ । का सत्ति खेयरिन्देण जंपिए भणइ पुणवि इमा ।।८३॥ अस्थि हु बच्छाविसए कोसं- कथा धर्म संघा बीए य पवरनयरीए । विहियारिमाणभंगो भूवालो माणभंगुत्ति ॥८४॥ सिट्टी य मुणियत्ततो बहुवित्तो आसि तत्थ जिणचारविधौ | दत्तो। साइम्मियजिणभनो दढसंमत्तो पवरसचो ॥८५|| नस्स समुन्नयवंसा सुवन्नरयणा य मेरुमुत्तिछ । वसुमइ नामेण पिया धूया पियदसणा नाम ॥८६॥ रूपेण रइसरूवा जम्पणाए सरस्सई सक्खा। लायणोण य लच्छी ललियपयन्नासजिणहंसी ॥८॥ सहियाए सहियाए सहियाइ इमाइ मज्झ सहियाए । सम्मं अणुदिणकरणिञ्जकजच्छकेण जंति दिशा ।। ८८ ॥ भणियं च-- "देवपूजा गुरूपास्तिः, स्वाध्यायःसंयमस्तपः । दानं चेति गृहस्थानां, षद् कर्माणि दिने दिने ॥८९॥" जा अभया उ तीए सद्धिं सद्धम्मकम्मनिरयाहं । विहामि ता पविड मिक्सद तत्थ मुनिजुयलं ॥१०॥ अह नागररिटेणं जिडेणं साहुणा तयं दहें । सिट्ठो मुणी कणिटूठो गरिट्रवणं मं ॥९॥ जिणदत्तसिविध्या एसा पियदंसगा सुयं पगं। पसविय पडियजिरसइ पवजं बजिअ अवजं ॥९॥ तं सोउ हरिसियाऽहं मह सदियक्षिय जहा इहं सहिया । जाइह भवसुहमणुहतिय पाविहिइ परभवतुईपि ॥ ९३ ।। इत्तियदिशाणि एवं कस्मदिन भयाइ साहियं नाय!। सा परमिनस जोगत्ति जमुचियं किजउ तमिहि ॥१४॥ तं सोई अमियगईपमुहे चित्तंगो भगाइ खपरे ! दावेद तत्थ गंतुं तं कन्नं बंधुदत्तस्स !९५॥ गहिकण बंधुदत्त कोसंधीए इने तो पचा । सिरिपासनाइवेश्यविभूसिए वाहिरुजाणे ॥९६॥ काउं तत्थावासे हायविलितो अलंकियसुगत्तो। तत्तो य बंधुदत्तो विजाहरनियरसंजुत्तो॥९॥ गंधवगीयवाइयकरकालरोलमुहलियदियंतो। पवरविमाणारूढो पत्तो जिणमंदिरदुवारं ॥९८॥ Meani॥२२४॥ HuTHANIPRIHAR DINARIORITTARITA MINon
SR No.600278
Book TitleChaityavandanbhashyam
Original Sutra AuthorDevendrasuri, Dharmkirtisuri
Author
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year1988
Total Pages490
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size12 MB
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