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कल्प०
॥ ४४ ॥
धम्मस्स णं अरहओ जाव सबदुक्खप्पहीणस्स तिण्णि सागरोवमाइं विइक्कताई, पन्नट्ठि च, सेसं जहा मल्लिस्स ॥ १९१ ॥ १५ ॥
अणंतस्स णं अरहओ जाव सबदुक्खप्पहीणस्स सत्त सागरोवमाई विइक्कंताई पन्नट्ठि च, सेसं जहा मल्लिस्स ॥ १९२॥ १४ ॥
विमलस्स णं अरहओ जाव सबदुक्खप्पहीणस्स सोलस सागरोवमाई विइक्कताई, पन्नठिं च, सेसं जहा मल्लिस्स ॥ १९३ ॥ १३ ॥
वासुपुज्जस्स णं अरहओ जाव सबदुक्खप्पहीणस्स छायालीसं सागरोवमाइं विइक्कं - ताइं पन्नट्ठि च, सेसं जहा मल्लिस्स ॥ १९४ ॥ १२ ॥ सिजंसस्स णं अरहओ जाव सबदुक्खप्पहीणस्स एगे सागरोवमसए विइक्कंते पन्नट्ठि च, सेसं जहा मल्लिस्स ॥ १९५॥ ११ ॥
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बारसो
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