SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 129
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ SARSA दोवि पच्छाउत्ताई,एवं नो से कप्पंति दोवि पडिगाहित्तए,जे से तत्थ पुवागमणेणं पुवाउत्ते, . से कप्पइ पडिगाहित्तए, जे से तत्थ पुवागमणेणं पच्छाउत्ते, नो से कप्पइ पडिगाहित्तए । ॥३५॥ वासावासं पजोसवियस्स निग्गंथस्स निग्गंथीए वा गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए । अणुपविट्ठस्स निगिज्झिय २ वुट्टिकाए निवइजा, कप्पइ से अहे आरामंसि वा अहे उवस्सरायसि वा अहे वियडगिहंसि वा अहे रुक्खमूलंसि वा उवागच्छित्तए, नो से कप्पइ पुवगहिएणं भत्तपाणेणं वेलं उवायणावित्तए, कप्पइ से पुवामेव वियडगं भुच्चा पडिग्गहगं ? संलिहिय २ संपमन्जिय २ एगाययं भंडगं कट्ट सावसेसे सूरे जेणेव उवस्सए तेणेव उवागच्छित्तए, नो से कप्पइ तं रयणिं तत्थेव उवायणावित्तए ॥३६॥ वासावासं पजोसवियस्स : निग्गंथस्स निग्गंथीए वा गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए अणुपविदुस्स निगिज्झिय २३ |बुट्टिकाए निवइज्जा, कप्पइ से अहे आरामंसि वा अहे उवस्सयंसि वा उवागच्छित्तए |
SR No.600261
Book TitleKalpsutram
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
Author
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1914
Total Pages142
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_kalpsutra
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy