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________________ कल्प वारको ॥५०॥ AAAAAGARIGANGANAGAR अग्गिवेसायणे गुत्तेणं पंच समणसयाई वाएइ, थेरे मंडितपुत्ते वासिटे गुत्तेणं अडट्ठाई है। समणसयाई वाएइ, थेरे मोरिअपुत्ते कासवे गुत्तेणं अडुट्ठाइं समणसयाई वाएइ, थेरे है। * अकंपिए गोयमे' गुत्तेणं-थेरे अयलभाया हारिआयणे गुत्तेणं-पत्तेयं एते दुण्णिवि थेरा तिण्णि तिणि समणसयाइं वाएंति, थेरे अजमेइज्जे-थेरे पभासे-एए दुण्णिवि थेरा कोडिन्ना है गुत्तेणं तिण्णि तिण्णि समणसयाइं वाएंति । से तेणटेणं अज्जो! एवं वुच्चइ-समणस्स . भगवओ महावीरस्स नव गणा, इक्कारस गणहरा हुत्था ॥ ३॥ सवेवि णं एते समणस्स। भगवओ महावीरस्स एक्कारसवि गणहरा दुवालसंगिणो चउदसपुविणो समत्तगणिपिडगधारगारायगिहे नगरे मासिएणं भत्तेणं अपाणएणं कालगया जाव सव्वदुक्खप्पहीणा ॥ थेरे इंदभूई', थेरे अजसुहम्मे य सिद्धिगए महावीरे पच्छा दुण्णिवि थेरा परिनिवुया ॥जे १ गोयमसगुत्तेणं (क० कि०, क० सु०) २ इकारस (क० कि०, क० सु०) ॥५०॥
SR No.600261
Book TitleKalpsutram
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
Author
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1914
Total Pages142
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_kalpsutra
File Size9 MB
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