________________
14६१ बारवे उद्देशे में एकेन्द्रिय का कथन २२८८ । अठारवे शतक का-चौथा उद्देशा
६१८ तेरवे उद्देशे में से नाग कुमार का २२९० ३१ अठारापाप अठाराधर्म, छ काय छ द्रव्य ६५९ चउदवे उद्देशे में सुवर्ण कुमार का २२१० -
जीव पुदल शरीर इत्यादि जीव के भोग । १६२० पन्दरवे उदेशे में विद्युत्कुमार का २२९०
में आते है क्या ? ६२१ सोलवे उद्देशे में वायुकुमार का २२९०
६३२ कृतयुग्मादि युग्मका कथन २३२५ १६२२ सत्तरवे उद्दश में अन्तिकुमारका २२९१ .
अठारवे शतक का पांचवा उद्देशा 4 अष्टादश शतक का-प्रथमोदशा... ६२३ प्रथम अप्रथम का कथन. २२१२
६३३ दो देव मुरूप कुरूप किस प्रकार २३२९
६३४ दो नेरीये हलुकर्मीभारी कमी कैसे २२ ६२४ चरम अचरम का कथन २२९८ ६२५दूसराशतक-इ केन्द्रका पूर्व भवकार्तिक २३०४
६३५ वर्तमान भवायुवेदेआगमिकबंधकररहे २३३३ १ अठारवा शतक का तीसरा उद्देशा
___ अठवा शतक का छट्ठा उद्देशा
६३६ गुड, भ्रमर, तोता में वर्णादि २६ काउलेड्या पृथ्वीकायादि पर मनुष्य होवे.
६३७ प्रमाणु स्कन्ध में वर्णादि २३३७ १६२७ चर्म निर्जरा के पुद्गल सर्वलोकस्पर्श २३२७ अठारवा शतक का सातवा उद्देशा । ६२८ द्रव्य बंध भाव वैध का कथन २३१९ । ६३८ केवलीदेवाधिष्टस भी सत्य भाषाबोले २३४० ६२९ पापकर्म किये व करेंगेजिसका विशेष २३२१ ६३९ उपाधी परिग्रह तीन प्रकार की २३४० ६३० नेरीये का आझर ग्रहण परिणमन २३२२ । ६४० सुप्रणिधान दु प्रणिधान
प्रयाजेक बाल ब्रह्मचारी मनि श्री अमोलक ऋषिजी:
कि रामाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी-ज्वालाप्रसा