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________________ (भगवती) सूत्र +8+ 48 पंचमान विवाह पण्णचि अणतावा उबवजंति: ७ ॥ तेओग कलिओग तेरस वा संखज्जा वा असंखेजा वा - अणंतावा उववजति ८ ॥ दावरजुम्म कडजुम्भेस अठवा संखजावा असंखजावा अणंतावा उववजंति ९ ॥ दावग्जुम्म तेओगेसु एकारसावा संखेजावा असंखेजावा अणंतावा उववज्जति १० ॥ दावरजुम्म दावर जुम्मसु दससवा संखजावा असंखेजावा अणतावा उववति ११ ॥दावरजम्म कलिओगेस णवा संखजावा असंखे. ज्जावा अणंतावा उववजंति १२ ॥ कलिओग कडजुम्मसु चतारिवा संखजावा असं. खेजावा अणतावा उववजंति ३३ ॥ कलिंओग तेओगेस सत्तेवा संखेजावा असंवैसे ही यावत् पीरमाण पभरह संख्यात, असंख्यात व अनंत उत्पन्न होते हैं;शेष वैसे ही यावत् अनंतवक्तव, यो सोलह यहा युग्यों में एक गमा, परंतु परिमाण में विशेषता: ध्योज द्वापर युग्म में परिमाण उदह संख्यात, असंख्यात व अनंत उत्पन्न होते हैं ७. ध्योज कल्योज में तेरह संख्यात असंख्यात उत्पन्न होते हैं ८. पार कृत युग्म में आठ संख्यात, असंख्यात व अनंत ९. द्वापर युग्म ध्यान में अग्यारह संख्यात,असंख्यात व अनंत१०.द्वापर युग्म में दशमंख्यात असंख्यात व अनंत११. द्वापर युग्म करयोज में नव संख्यात असंख्यात व अनंत उत्पन्न होते हैं१२: कलियोग कृत युग्ममें चार संख्यात अख्यात व अनंत 8.तीसरा शतक का पहिला उद्देशा भावार्थ 1
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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