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48 अनुवादक-बालबमचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी +
दगा णो अदगा,एवं ससि ॥ तेणं भंते! जीवा कि सातादगा असतावेदगा पुन्छा! गौयमा ! सातो दगारा एवं खलु उप्पलुद्दे ग परिवाडी fi कम्माणं, उदई णो अणुदई, छण्हं कम्भाणं उदीरगा णो अणुदरगा, दणिजाउयाणं उदीरंगा वा अणुदीरगावा ॥५॥ तेणं भंते ! जीवा किं कण्हलस्सा पुच्छा ? गोयमा ! कण्हलेकसान गीललेस्सा काउलेस्सावा, तेउलेसा ॥ णो मम्मट्टिी, णो सम्मामिच्छादिट्ठी, मिच्छादिट्ठी ॥ णो णाणी अण्णाणी, णियमा दुअण्णाणी तंजहा मतिअण्णाणीय अहो भगवन् ! जीवों शानावरणीय कर्म के पेदक हैं या अवेदक हैं! ही गौतम ! वेदक हैं परंतु अदक नहीं है. ऐसे हो सब का जानना. अहो भनान ! वेश्या साता वेदनेवाले हैं या असाता वेदने । माले हैं ? अहो गौतम ! माता वेदनेवाले भी हैं और असाता वेदनेवाले भी हैं।" यो पुगल उद्देशा की परिपाटी सर को आश्री जानना. ऐसे ही उदय अनुदय में पाठों कमों का उदय हैं परंतु अनुइय नहीं है. वेदनीय व आयुष्य वर्जकर छ कर्म की उदारणा करने बाले हैं।॥५॥अहो भगवन् ! वं जीवों क्या कृष्ण लश्या वाले हैं? अहो गौतम ! कृष्ण लेश्या, नील, लेश्या कापोत लेश्या व तेजो लश्या वाले हैं.समष्टि व सममिध्यादृष्टि वाले नहीं हैं परंतु मिध्यादृष्टि वाले हैं. हामी
बायक-राजाबहादुर लाला मुखदेव सहायजी ज्वालाप्रसादजी.
यान