SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 2980
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सूत्र भावार्थ 43 अनुवादक- बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी जंति किं णेरइएहिंतो उववातो जहा वक्तीए | तेणं भंते ! जीवा एगसमएणं केवइया उववजंति ? गोयमा ! तिणिवा, सत्तवा, एक्कारसवा, पण्णरसवा, संखेज्ज - वा, असंखेजवा, उववज्जंति ? सेसं जहा कडजुम्मस्म; एवं जाव अहं सत्तमाए ॥७॥ खड्डाग दावरजुम्म णेरइयाणं भंते! कओ उववजंति एवं जहेव खुड्डाग कडजुम्मे वरं परिणाम दोवा, छत्रा, दसवा चउदसवा, संखज्जावा, असखेजावा, सेसं तंचेव ॥ एवं जाव असता || ८ ॥ खुडाग कलिओग णेरइयाणं मंते ! कओ उवजंति एवं जहेब खडाग कडज्जुम्मे णवर परिमाणं एक्कोवा पंचवा णववा तेरसवा संखेज्जावा होवे ! क्या नारकी में से यों व्युक्रान्ति जैसे उपपात कहना. अहो भगवन् वे एक समय में कितने उत्पन्न होवे ? अहो गौतम! तीन, मात, अग्यारह, पन्नरह, संख्यात, व असंख्यात उत्पन्न होवे, शेष सब कृत युग्म जैसे कहना. यों सातवी पृथ्वी तक कहना ॥ ७ ॥ अहो भगवन् ! क्षुल्लक द्वापर युग्म नारकी कहां से उत्पन्न होते हैं ? यां जैसे क्षुल्लक कृत युग्म का कहा वैसेही कहना परंतु परिमाण दो, छ, दश, चौदह, संख्यात व असंख्यात उत्पन्न होवे. यों सातवी पृथ्वी पन्यत कहना. ॥ ८ ॥ अहो भगवन् ! क्षुल्लक कलि युग्म नारकी कहां से उत्पन्न होते हैं. यों जैसे क्षुल्लक कृत युग्म का कहा वैसे ही कहना परंतु परिमाण एक, पांच, नत्र, तेरह, संख्यात, व असंख्यात उत्पन्न होते हैं. ऐसा कहना. यों सातवी * प्रकाशक- राजाबहादुर लाला सुखदेव सहायजी ज्वालाप्रसादजी २९३२
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy