SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 2974
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सूत्र भावार्थ 48 अनुवादक बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी किरियात्रादिणं भंते ! अनंतवण्णा जेरइया किं भवसिद्धिया अभवसि दिया ? गोयमा ! भवसिद्धिया णो अभवसिद्धिया || अकिरियावादीणं पुण्छा ? गोयमा ! भवसिद्धियावि अभवसिद्धियावि, एवं अण्णाणिय वादीवि, वेणइय वादवि ॥ ४ ॥ सलेस्साणं भते ! किरियावादी अयंतरोववण्णमा किं भवसडिया 'अभवसिद्धिया पुच्छा ? गोयमा ! भवसिद्धिया जो अभवसिद्धिया ॥ एवं एएवं अभिलावेणं जहेव ओहिए उद्देसर गैरइयाणं वत्तन्वया भणिया तहेव इहावि भाणियन्त्रा जाव अणागारोववउत्तेति । एवं जाव वैमाणिया, वरं जं जस्सअत्थि तं तस्स भाणिथव्वं ॥ इमं से लक्खणं जे किरियावादी सुक्कापक्खिया सम्मामिच्छादिट्ठीया या अभवसिद्धिक हैं ? अहो गौतम ! भवसिद्धिक हैं परंतु अभवसिद्धिक नहीं हैं. अक्रियावादी की { पृच्छा, अहो गौतम ! भवसिद्धिक व अभवसिद्धिक दोनों हैं. ऐने हा अज्ञानवादी व विनयवादा का [ जानना ॥ ४ ॥ अहो भगवन् ! सलेशी क्रियावादी अनंतत्पश्नक क्या भवसिद्धिक हैं या अभवसिद्धिक हैं ? अहो गौतम ! भवसिद्धिक हैं परंतु अभवसिद्धिक नहीं हैं. यों इस अभिलाप में जैसे औधिक उद्देशा में नारकी की वक्तव्यता कही वैसे ही अनाकाशेपयोग पर्यन्त यहां भी कहना. ऐसे ही वैमानिक * प्रकाशक राजाबहादुर लाला सुखदेवसहाय जी ज्वालाप्रसादजी - २९५०
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy