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________________ - अनुवादक-बालब्रह्मचारीमुनि श्री अमोलक ऋपिजी एवं अणाणवादीवि, वेणयबादीवि जहा लेस्सा ॥ एवं जाव सुक्कलेस्सा ॥ अलेस्साणे भंते ! जीवा किरियावादी किं भवसिद्धिया पुच्छा ? गोयमा भवसिद्धिया णो अभव. सिद्धिया, एवं एएणं अभिलावणं कण्हं पक्खिया तिमुवि समोसरणेसु भयणाए । मुक्कपक्खिया चउसुवि समोसरणेसु भवप्तिडिया, णो अभवसिहि या ॥ सम्मट्ठिी जहा अलस्सा, मिच्छद्दिद्वी जहा कण्ह पक्खिया । सम्ममिच्छादिट्ठी दोसुविसमोसरणेमु जहा अलेस्सा ॥ णाणी आव केवलणाणी भवसिद्धिया णो अभवसिद्धिया । अण्णाणी जाव विभंगणाणी जहा कण्हपक्खिया ॥ सहासु चउसुवि जहा सलेस्सा, णो सणोवउत्ता जहा सम्मट्ठिी, संवेदगा जाव णपुंसगवेदगा जहा समोरमण में भजना, शक्ल पक्ष के चारों समोसरण में भवभिद्धिक हैं परंतु अभवसिद्धिक नहीं हैं. ममटी का अलेशी जैस,मिथ्या दृष्टीका कृष्ण पक्षक जैसे कहना. सममिथ्या दृष्टि के दोनों भमोरण में अलेशी जैसे कहना. ज्ञानी यावत् केबल ज्ञानी भवनिद्धिक परंतु अभवसिद्धिक नहीं. अज्ञानी यावत् विभंग ज्ञानी का कृष्ण पक्षीक जैसे कहना. चारों संज्ञा में सलेशी जैसे, नो संज्ञापयुक्त में समदृष्ठि जैसे, सवेदी या बत् नपुंसक वेदीका मलेशी जैसे, अवेदी का समदृष्टि जैसे, सकषायी यावत् लोभापायी सलेशी जैन, मापायी समधि जैसे, सयोगी यावत् काया योगी सलेशी जैसे अयोगी समदृष्टि से, सकारोपयुक्त अनाकारपयुक्त सलेशी .प्रकाशक राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी भावार्थ
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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