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48 अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी -
काले वा होजा, णो सुसमाकाले वा होज्जा, णो सुसमसुसमाकाले वा होजा॥संति भावं पडुच्च णो दुस्सम्बदुस्समाकाले होजा, णो दुस्समाकाले होजा, दुस्समसुसमाकाले, होज्जा, सुसमदुरस्समाकाले वा होज्जा, णो सुसमाकाले होजा, णो सुसम सुसमाकाले होज्जा ॥ जइ णो ओसप्पिणी णो उस्सप्पिणीकाले होजा किं सुसमसुसमा पलिभागे होजा. सुसमापब्लिभागे होजा, सुसमदुस्समा पलिभागे होजा, दुस्समसुसमा पलिभागे होज्जा ? गोथमा ! जम्मण संतिभावं पडुच्च णो मुसममुसमा पलिभागे होजा, णो सुसमापलिभागे होजा, जो सुसमदुस्समा पलिभागे होजा, दुस्समसुसमा
पलिभागे होना, उसेणं . भंते ! पुच्छा ? गोयमा ! ओसप्पिणी होवे, यदि नो अवस्थापिणी, नो उत्सर्पिणी काल में हो तो क्या मुषमसुषम जैसे देवकुरु उत्तर कुरु क्षेत्र में होवे, मुषमा जैसे हरिवर्ष रम्यक् वर्ष सुषम दुषम हेमवय एरणबय और दुषमंसुषम सो महाविदेह क्षेत्र में उत्पन्न होवे ? अहो गौतम! जन्म व विद्यमान अवस्था आश्री सुषम सुषम,सुषमव मुषम दुषम में होवे परंतु दुषम सुषम में होवे. पुलाक का साहरन नहीं होता है. बकुश की पृच्छा, अहो गौतम ! अवसर्पिणी काल में हो वे, उत्सर्पिणी काल में होवे और नो अवसर्पिणी नो उत्सर्पिणी काले में होवे. यदि
प्रकाशक-राजाबहादुर लाला सुखदेव सहायजी ज्वालाप्रसादजी.
भावार्थ