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________________ K * अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी 8 परमे,णलिणंगे,णलिणे,अच्छिणिपूरंगे अच्छिणिपूरे,अउयंगे,अउए,णउयंगे,णउए,पउयंगे, पउए,चलियंगे,चलिया,सीसप्पहेलियग,पलिओवमे, सागरोवमे, ओसप्पिणी एवं उस्सप्पिणीवि॥२॥पोग्गल परियटेणं भंते ! किं संखेजा समया असंखेजा समया पुच्छा? गोयमा ! णो संखेजा समया,णो असंखेजा समया,अणंता समयाएवं तीयडा,अणागयडा, सव्वद्धा, ॥३॥ आवलियाओणं भंते! किं संखेज्जा समया! पुच्छा? गोयमा ! णो संखेजा समया सिय असंखेज्जा समया, सिय अणंता समया ॥ आणापाणणं भंते ! किं संखज्जा अहोशात्र, पक्ष, मास, ऋतु, अयन, संवत्सर, युग, वर्षसो, वर्ष सहस्र, वर्ष लक्ष, पूर्वाग, पूर्व, त्रुटितांग, घटित, अहडांग, अडड, अक्वांग, अवच, हहूआंग,टूअ,उत्पलांग, उत्पल, पांग, पञ्च, नलिणांग, नलिण, अक्षिणीपुरांग, अक्षिणीपुर, अउपांग, अउप, नउपांग, नउप, पउपांग, पउप, चूलितांग, चूलित, शीर्ष टेलितांग, पल्यापम, सागरोपम अवमर्पिणी व उत्सर्पिणी के असंख्यात समय कहे हैं ॥२॥ अहो भग-2 बन ! पुद्गल परावर्त के क्या संख्यात, असंख्यात या अनंत ममय हैं ? अहो गौतम ! संख्यात व असंख्यात समय नहीं हैं परंतु अनंत समय हैं. ऐसे ही अतीत काल, अनागत काल व सब काल का जानना ॥ ३ ॥ अहो भगवन् ! बहुत भावलिकाओं के क्या संख्यात समय घगैरह पृच्छा, अहो गौतम !. *प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेव सहायजी ज्वालाप्रसादजी . भावार्थ
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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