________________
8
२७८५
पंचमाङ्ग विवाह पणत्ति (भगवती) सूत्र
दव्वट्ठयाएं असंखेजगुणा तेचेव पदेसट्टयाए असंखेजगुणा ; परमाणुपोग्गला णिरेया दव्वट्ठअपएसट्ठयाए आखजगुणा, संखेजपदेसिया दवट्ठयाए संखेजगुणा, तंचे पदेसट्टयाए संखेजगुणा, असंखजपदेसिया णिरेया दवट्ठयाए असंखेजगुणा, तेचेव पदेसट्टयाए असंखेजगुणा ॥ ३६ ॥ कइणं भंते ! धम्मत्थिकायस्स मज्झपदेसा पण्णत्ता ? गोयमा ! अट्ठधम्मत्थिकायस्स मझपदेसा पण्णत्ता ।। कइणं भंते! अहम्मविकायस्स मज्झपदेसा पण्णत्ता? गोयमा ! एवंचव ॥ कइणं भंते ! आगासत्थि
कायस्स मज्झदेसा पण्णत्ता ? एवं चेत्र ॥ कइणं भंते ! जीवत्थिकायस्स असंख्यात गुने, इससे वही प्रदेश आश्री संख्यात गुने, इससे असंख्यात प्रदेशिक स्कंध देशकम्पन वाले द्रव्य आश्री असंख्यात गुदे, इससे वेही प्रदेश आश्री असंख्यातगुने, इससे परमाणुपुद्गल अकम्प वाले द्रव्य अप्रदेश आश्री असंख्यात गुने, इससे संख्यात प्रदेशिक द्रव्य आश्री अकम्प संख्यात गुने, इससे वही मदेश पाश्री
संख्यातगुने, इससे असंख्यात मदेशिक अकम्पन वाले द्रव्य आश्री असंख्यात गुने, इससे वही प्रदेश आश्री at असंख्यात गुने, इस से वेही असंख्यात गुने, ॥ ४६॥ अहो भगवन् ! धर्मास्तिकाया, के मध्य
प्रदेश कितने कहे हैं ? अहो गौतम! धर्मास्तिकाया के आठ मध्य प्रदेश कहे हैं. वे रुचक प्रदेश अवगाहकर रहैं
480 पच्चीसवा अतक का चौथा उद्देशा
भाव
.
।